कोमाखान, बागबाहरा के बाद अब बसना में ‘ऑपरेशन चखना’, पुलिस के हाथ लग रहीं सिर्फ खाली शीशियां और डिस्पोजल, अवैध शराब के असली ठिकानों तक क्यों नहीं पहुंच पा रही कार्रवाई?

ऑपरेशन चखना’

महासमुंद। जिले में अवैध शराब के खिलाफ चलाए जा रहे ‘ऑपरेशन चखना’ के तहत पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है। कोमाखान और बागबाहरा के बाद अब बसना थाना क्षेत्र में भी इसी पैटर्न पर ताबड़तोड़ रेड की गई है। 11 और 12 दिसंबर को बसना पुलिस ने 13 अलग-अलग स्थानों पर छापेमारी कर शराब पिलाने और सार्वजनिक स्थानों पर शराब सेवन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की।

हालांकि इन कार्रवाइयों में एक चौंकाने वाला पहलू यह सामने आया है कि हर मामले में पुलिस को सिर्फ खाली शराब की शीशियां और डिस्पोजल गिलास ही बरामद हो रहे हैं, जबकि अवैध शराब के भंडारण और सप्लाई के ठोस ठिकानों तक पुलिस की पहुंच अब भी नहीं हो पा रही है।

13 स्थानों पर रेड, कई आरोपी गिरफ्तार

पुलिस को मुखबिर सूचना के आधार पर ग्राम भालूपतेरा, गढ़पटनी रोड, गढ़फुलझर, बडेडाभा, तिलकपुर सहित कई गांवों और सार्वजनिक स्थानों पर शराब सेवन और पिलाने की जानकारी मिली थी। इन सूचनाओं पर अलग-अलग टीमों ने कार्रवाई करते हुए कई आरोपियों को मौके से गिरफ्तार किया।

पुलिस कार्रवाई में जिन लोगों को पकड़ा गया, उनमें शामिल हैं—
लालसाय बंजारा, पन्नालाल कैवर्त, संजय यादव, हितेश बगर्ती, राहुल नायक, महेश चौहान, गोविंद बंजारा, गंगाराम बंजारा, रोशन यादव, घुरऊ चौहान, मोतीराम चौहान, श्यामलाल पटेल और दीपक चौहान।

ब्रेथ एनालाइजर से पुष्टि, पर शराब नहीं

पुलिस ने अधिकांश मामलों में ब्रेथ एनालाइजर मशीन से शराब सेवन की पुष्टि की। कुछ मामलों में शराब की मात्रा 128 एमजी/100 एमएल तक पाई गई। इसके बावजूद पुलिस को किसी भी स्थान से भरी हुई शराब की बोतल या स्टॉक बरामद नहीं हुआ।

हर केस में सिर्फ—

  • खाली देशी/अंग्रेजी शराब की शीशी

  • प्लास्टिक डिस्पोजल गिलास (शराब की गंध युक्त)

ही जब्त किए गए।

आबकारी एक्ट में केस, जमानत पर रिहाई

सभी आरोपियों के खिलाफ छत्तीसगढ़ आबकारी अधिनियम की धारा 36(च) एवं 36(सी) के तहत अपराध दर्ज किया गया। मामले जमानतीय होने के कारण सभी आरोपियों को मौके पर ही जमानत मुचलके पर रिहा कर दिया गया। पुलिस ने प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना में ले लिया है।

कार्रवाई पर उठ रहे सवाल

नागरिका में इस एकतरफा कार्रवाई को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। लोगों का कहना है कि—

  • हर रेड में सिर्फ पीने वाले या पिलाने वाले ही पकड़े जा रहे हैं

  • अवैध शराब की सप्लाई और बिक्री करने वाले बड़े नेटवर्क पर कोई ठोस कार्रवाई नजर नहीं आ रही

  • खाली शीशियों पर कार्रवाई से असल गोरखधंधा जस का तस बना हुआ है

अब यह देखने वाली बात होगी कि ‘ऑपरेशन चखना’ आगे चलकर अवैध शराब के स्रोत और तस्करों तक पहुंच पाता है या नहीं, या फिर यह कार्रवाई सिर्फ खाली बोतलों और डिस्पोजल तक ही सीमित रह जाएगी।

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