रायपुर। भारत सरकार की महत्वाकांक्षी भारतमाला परियोजना में ज़मीन अधिग्रहण के दौरान करोड़ों रुपये के मुआवजा घोटाले में फंसे निलंबित राजस्व अधिकारियों की गिरफ्तारी अब तक नहीं हो सकी है। ईओडब्ल्यू (EOW) और एसीबी (ACB) द्वारा अपराध दर्ज होने के बावजूद आरोपी लगातार फरार हैं। विशेष न्यायालय ने अब 29 जुलाई 2025 को अंतिम मौका देते हुए इन सभी को अदालत में पेश होने का आदेश दिया है।
📌 कौन-कौन हैं आरोपी?
इन सभी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया है:
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निर्भय कुमार साहू – तत्कालीन एसडीएम
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शशिकांत कुर्रे – तत्कालीन तहसीलदार (निलंबन के समय जगदलपुर नगर निगम आयुक्त)
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लखेश्वर किरण – तहसीलदार
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जितेंद्र साहू – नायब तहसीलदार
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बसंती धृतलहरे – पटवारी
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लेखराम देवांगन – पटवारी
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एक अन्य पटवारी – नाम सामने नहीं आया
गिरफ्तारी वारंट के बावजूद पुलिस ने रिपोर्ट दिया है कि आरोपी “मिल नहीं रहे हैं”।
💰 कितना है घोटाले का अनुमान?
भारतमाला परियोजना के तहत विशाखापट्टनम से रायपुर तक के कॉरिडोर में भूमि अधिग्रहण के दौरान फर्जी दस्तावेज़, जालसाजी और फर्जी मूल्यांकन के जरिए भूमाफियों को अनुचित मुआवजा दिलाया गया।
➡️ प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि इससे सरकार को लगभग 600 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
⚖️ अब तक की कार्रवाई
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मार्च 2025: घोटाले का खुलासा
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आरोपियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया
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राज्य सरकार ने मामला EOW को सौंपा
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कई बार समन, फिर गिरफ्तारी वारंट, लेकिन आरोपी हाजिर नहीं हुए
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पुलिस ने वारंट लौटा दिया – कारण: “मिल नहीं रहे”
🔴 कोर्ट की सख्त चेतावनी
विशेष न्यायाधीश नीरज शर्मा (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम अदालत रायपुर) ने साफ कहा है कि
👉 29 जुलाई 2025 को यदि आरोपी उपस्थित नहीं होते हैं तो—
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फरार घोषित किया जाएगा
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सम्पत्ति कुर्क की कार्रवाई
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विशेष टीम का गठन कर गिरफ्तारी करवाई जाएगी
🗣️ गृहमंत्री के निर्देश
गृहमंत्री ने इस पूरे मामले पर नाराज़गी जताते हुए EOW और ACB को निर्देश दिया है कि
“कोई भी आरोपी कानून से ऊपर नहीं है। यदि आवश्यकता हो तो इंटर-स्टेट एजेंसी की मदद ली जाए।”
यह मामला प्रदेश की प्रशासनिक जवाबदेही, पारदर्शिता और भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई की गंभीर परीक्षा बन चुका है।