रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित कोयला लेवी घोटाले में फंसे सूर्यकांत तिवारी के रिश्तेदार नवनीत तिवारी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। मुख्य न्यायाधीश सुर्यकांत की अगुवाई वाली पीठ ने सुनवाई के बाद उन्हें जमानत प्रदान कर दी। नवनीत तिवारी पिछले चार माह से रायपुर सेंट्रल जेल में बंद थे।
कोल लेवी सिंडिकेट में सक्रिय भूमिका का आरोप
नवनीत तिवारी, मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के मामलों में आरोपी कारोबारी सूर्यकांत तिवारी के रिश्ते के भाई हैं। ईडी और आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) की जांच में नवनीत को अवैध कोल लेवी सिंडिकेट का सक्रिय सदस्य बताया गया है। आरोप है कि वह रायगढ़ जिले के कोल व्यवसायियों और ट्रांसपोर्टरों से करोड़ों रुपये की अवैध वसूली करता था और यह राशि नियमित रूप से रायपुर भेजी जाती थी।
जांच एजेंसियों ने यह भी दावा किया कि नवनीत सूर्यकांत तिवारी की बेनामी संपत्तियों के प्रबंधन में शामिल था।
2022 से फरार, जुलाई 2025 में गिरफ्तारी
ईडी ने वर्ष 2022 में नवनीत को आरोपी बनाया था, जिसके बाद वह लंबे समय तक फरार रहा। जुलाई 2025 में EOW ने उसे गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी वारंट जारी होने और लगातार छापेमारियों के बावजूद वह कई महीनों तक भूमिगत रहा था।
सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?
सुनवाई के दौरान आरोपी पक्ष की ओर से अधिवक्ता शशांक मिश्रा ने दलील दी कि नवनीत की गिरफ्तारी परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर आधारित है और वह जांच में सहयोग करने को तैयार है। दलीलों पर विचार करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें जमानत पर रिहा करने का आदेश जारी किया।
क्या है छत्तीसगढ़ का 570 करोड़ का कोयला घोटाला?
यह पूरा मामला कोयले के परिवहन, परमिट और खनन से जुड़े अवैध वसूली नेटवर्क से संबंधित है। ईडी का दावा है कि राज्य में लगभग 570 करोड़ रुपये की अवैध राशि वसूली गई।
घोटाले का तरीका
कोयला परिवहन के लिए ऑनलाइन परमिट प्रणाली को ऑफलाइन कर दिया गया।
आदेश 15 जुलाई 2020 को तत्कालीन खनिज निदेशक आईएएस समीर विश्नोई ने जारी किया।
इसके बाद रायगढ़, कोरबा और आसपास के इलाकों में ट्रांसपोर्टरों से 25 रुपये प्रति टन की अवैध वसूली शुरू हुई।
रकम सूर्यकांत तिवारी के नेटवर्क तक पहुंचाई जाती थी।
बदले में ट्रांसपोर्ट पास और पीट पास निर्बाध रूप से जारी किए जाते थे।
अवैध वसूली से अर्जित धन का उपयोग संपत्ति खरीदने और राजनीतिक फंडिंग में किया गया।
कौन है मास्टरमाइंड?
पूरा नेटवर्क कथित रूप से कोल कारोबारी सूर्यकांत तिवारी द्वारा संचालित किया जाता था।
ईडी ने उसे इस घोटाले का मुख्य सरगना (किंगपिन) बताया है।
आईएएस समीर विश्नोई की गिरफ्तारी के बाद सूर्यकांत तिवारी को भी गिरफ्तार किया गया।
नवनीत तिवारी को नेटवर्क का प्रमुख फील्ड ऑपरेटर माना गया है।
जमानत के बाद क्या आगे?
जमानत मिलने के बाद भी नवनीत तिवारी को सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की गई शर्तों का पालन करना होगा।
मामला अभी ट्रायल में है और ईडी व EOW दोनों एजेन्सियाँ आगे की जांच कर रही हैं।
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