छत्तीसगढ़ : पंचायतों की अनदेखी से नाराज़ सरपंच, ठेकेदारी प्रथा खत्म करने की उठी मांग

पंचायतों

गरियाबंद। जिले में सरपंचों ने जिला प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं। सरपंच संघ का कहना है कि पंचायतों के अधिकारों को लगातार छीना जा रहा है। छोटे-छोटे निर्माण कार्य और मनरेगा के तहत मिलने वाले रोजगार भी अब ठेकेदारों के हवाले किए जा रहे हैं।

सरपंचों का आरोप

  • पंचायतों को 50 लाख तक के निर्माण कार्य दिए जाने का प्रावधान होने के बावजूद प्रशासन ठेकेदारों को फायदा पहुँचा रहा है।

  • मरम्मत और छोटे स्तर के कार्यों में भी पंचायतों की भूमिका शून्य कर दी गई है।

  • मनरेगा कार्यों का वितरण सिर्फ चुनिंदा पंचायतों तक सीमित है, बाकी उपेक्षित रह गए हैं।

  • काम की कमी से मजदूर पलायन कर रहे हैं और ग्रामीणों का आक्रोश सरपंचों पर फूट रहा है।

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सरपंच संघ ने सौंपा ज्ञापन

मैनपुर जनपद के अध्यक्ष हलमंत ध्रुवा के नेतृत्व में सरपंचों ने कलेक्टर और जिला पंचायत सीईओ को ज्ञापन सौंपा। इसमें ठेकेदारी प्रथा समाप्त कर पंचायतों को सशक्त बनाने, मनरेगा कार्यों का समान वितरण करने और ग्रामीणों को रोजगार सुनिश्चित करने की मांग की गई।

जिला पंचायत सदस्यों का समर्थन

जिला पंचायत सदस्य संजय नेताम ने कहा कि पंचायतों को दरकिनार करना पंचायती राज व्यवस्था पर सीधा प्रहार है। वहीं लोकेश्वरी नेताम ने आरोप लगाया कि पंचायतों की उपेक्षा से ग्रामीण विकास बाधित हो रहा है, खासकर मजदूर और महिला वर्ग प्रभावित हैं।

प्रशासन का पक्ष

जिला पंचायत सीईओ प्रखर चंद्राकर ने कहा कि मनरेगा के तहत आवास निर्माण और वृक्षारोपण जैसे कार्य प्राथमिकता में हैं। शासन की योजनाओं के अनुरूप ही काम दिए जा रहे हैं, अन्य विभागों के कार्यों पर वह टिप्पणी नहीं कर सकते।

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