रायपुर। 570 करोड़ रुपये के बहुचर्चित कोयला लेवी घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों में रायपुर सेंट्रल जेल में बंद कारोबारी सूर्यकांत तिवारी को अब किसी अन्य जेल में स्थानांतरित नहीं किया जाएगा। ACB-EOW की विशेष अदालत ने जेल प्रशासन की उस अर्जी को खारिज कर दिया है, जिसमें उनके व्यवहार को आधार बनाकर उन्हें दूसरी जेल भेजने की मांग की गई थी।
क्या था मामला?
20 जुलाई 2025 को रायपुर जेल प्रशासन ने अचानक सूर्यकांत तिवारी के बैरक की तलाशी ली थी, जिसमें उन्होंने सहयोग करने से इनकार कर दिया और जेलकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार किया। इसके बाद जेल प्रशासन ने अदालत में अर्जी दाखिल की थी कि आरोपी बार-बार अराजकता फैलाता है, जिससे जेल के अन्य कैदियों पर भी गलत असर पड़ता है।
अदालत ने क्या कहा?
बुधवार को इस अर्जी पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि जब तक कोई बंदी जेल मैनुअल के तहत गंभीर अपराध की श्रेणी में नहीं आता या सुरक्षा को सीधा खतरा नहीं होता, तब तक स्थानांतरण का आधार नहीं बनता। इसलिए कोर्ट ने शिफ्टिंग की मांग को अस्वीकार कर दिया।
क्या है कोयला लेवी घोटाला?
यह मामला छत्तीसगढ़ के 570 करोड़ रुपये के कोल लेवी घोटाले से जुड़ा है, जिसमें कोयले के परिवहन, पीट पास और परमिट के नाम पर 25 रुपये प्रति टन की अवैध वसूली की जा रही थी। आरोप है कि यह पूरी वसूली एक सुव्यवस्थित नेटवर्क के तहत सूर्यकांत तिवारी के इशारे पर होती थी।
कौन-कौन हैं आरोपी?
इस घोटाले में कई बड़े नाम सामने आए हैं:
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रानू साहू (IAS)
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सौम्या चौरसिया (पूर्व प्रशासनिक अधिकारी)
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समीर विश्नोई (IAS)
हालांकि, ये सभी फिलहाल सुप्रीम कोर्ट से जमानत पर बाहर हैं। वहीं सूर्यकांत तिवारी की जमानत याचिकाएं बार-बार खारिज की जा चुकी हैं।
जेल में भी प्रभाव दिखा रहे सूर्यकांत?
सूत्रों की मानें तो सूर्यकांत तिवारी जेल में भी प्रभाव जमाने की कोशिश कर रहे थे। उन पर आरोप है कि वह नियमों को ताक पर रखकर प्रशासन पर दबाव बना रहे थे, जिससे जेल का अनुशासन प्रभावित हो रहा था।