छत्तीसगढ़ में मंत्रिमंडल विस्तार पर विवाद: पूर्व मुख्यमंत्री ने बताया असंवैधानिक, सरकार से मांगा स्पष्टीकरण

छत्तीसगढ़ में मंत्रिमंडल

रायपुर। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार द्वारा किए गए मंत्रिमंडल विस्तार पर विवाद गहराता जा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स (Twitter) पर ट्वीट कर इस विस्तार को “असंवैधानिक और ग़लत” बताया है।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि 14वें मंत्री को शपथ दिलाना संविधान के अनुच्छेद 164(1A) का उल्लंघन है और यह पूरी तरह असंवैधानिक है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि यदि इसके लिए केंद्र सरकार, सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट से कोई अनुमति ली गई है तो उसे सार्वजनिक किया जाए।

📌 संविधान और कानूनी पृष्ठभूमि

अनुच्छेद 164(1A) को 91वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2003 के तहत जोड़ा गया था, जो 1 जनवरी 2004 से प्रभावी हुआ।
इसका मुख्य उद्देश्य था –

  • मंत्रिमंडल के आकार को सीमित करना

  • दल-बदल को रोकना

  • सुशासन को बढ़ावा देना

संविधान के अनुसार, किसी भी राज्य में मंत्रिमंडल का आकार विधानसभा की कुल संख्या का 15% से अधिक नहीं हो सकता, और किसी भी हालत में यह 12 से कम नहीं होना चाहिए।

📌 छत्तीसगढ़ की स्थिति

छत्तीसगढ़ विधानसभा में 90 सदस्य हैं। इस हिसाब से मंत्रिमंडल का अधिकतम आकार 13 सदस्य (मुख्यमंत्री समेत) हो सकता है।

2018 में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने भी संसदीय सचिवों की नियुक्ति पर आए एक मामले की सुनवाई करते हुए साफ कहा था कि मंत्रिमंडल की अधिकतम सीमा 13 सदस्यों की होगी।

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📌 सवालों के घेरे में सरकार

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि अब मुख्यमंत्री समेत मंत्रिमंडल में 14 सदस्य हो गए हैं, जो संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन है। उन्होंने सरकार से तुरंत स्पष्ट करने की मांग की है कि किस आधार पर एक अतिरिक्त मंत्री को शपथ दिलाई गई।

अगर सरकार के पास कोई विशेष अनुमति है तो उसे सार्वजनिक करना चाहिए, अन्यथा यह नियुक्ति असंवैधानिक मानी जाएगी।

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