डॉ. नीरज गजेंद्र
नवरात्र का पर्व भक्ति, आराधना और साधना का अद्भुत संगम है। नौ दिनों तक देवी दुर्गा की उपासना होती है। हर दिन का एक विशेष महत्व है। यह पर्व हमें सिखाता है कि साधना पूजा की थाली तक सीमित नहीं है, वह जीवन के हर क्षेत्र में फैला हुआ है। जीवन में लक्ष्य चाहे बड़ा हो या छोटा, उसे पाने का मार्ग साधना से ही निकलता है। साधना का अर्थ है परिश्रम, नियम और धैर्य से है। परिश्रम ही वह शक्ति है, जिसकी आराधना करने वाला कभी असफल नहीं होता।
घर परिवार का संचालन भी साधना है। गृहणी का हर दिन तपस्या की तरह होता है। वह नियम, संयम और त्याग से घर को सहेजती है। शासकीय सेवा व कारोबार में कर्म ही पूजा है। कर्मचारी और व्यापारी अपने श्रम और निष्ठा से सफलता का मार्ग बनाता है। विद्यार्थी के लिए अध्ययन ही साधना है। खेल में खिलाड़ी का अभ्यास ही उसकी आराधना है। कुल मिलाकर जिसने मन पर विजय पा ली, वही सच्चा विजेता है।
नवरात्र का पर्व इसी साधना का स्मरण कराता है। वाल्मीकि रामायण में उल्लेख मिलता है कि भगवान राम ने रावण वध से पहले शक्ति की उपासना की थी। उन्होंने नवरात्र का व्रत रखा और देवी की आराधना की। श्री राम ने दुर्गा सप्तशती के मंत्र ॐ ह्रीं दुं दुर्गायै नमः के साथ साधना की और माता दुर्गा से विजय का आशीर्वाद प्राप्त किया। नौ दिनों की इस साधना के बाद दशमी को उन्हें विजय मिली। तभी से शारदीय नवरात्र और विजयादशमी की परंपरा स्थापित हुई।
धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि व्रत और उपवास शरीर को संयमित करने के लिए ही नहीं होते, ये मन और आत्मा को भी निर्मल करते हैं। श्रीमद्भगवद्गीता सुनाते हुए कुरुक्षेत्र में द्वारिकाधीश कहते हैं कि योगस्थः कुरु कर्माणि संगं त्यक्त्वा धनंजय। अर्थात योग और साधना से जुड़कर कर्म करने वाला सदा सफल होता है। नवरात्र का हर दिन हमें यह सिखाता है कि साधना से जीवन की दिशा बदल सकती है। माता दुर्गा की उपासना करते हुए हम शक्ति, धैर्य और विवेक प्राप्त करते हैं। यह साधना देवी की भक्ति के साथ हमारे जीवन की हर कठिनाई को हल करने की प्रेरणा देती है।
आज के समय में जब जीवन की गति तेज है, तब साधना का महत्व और बढ़ जाता है। विद्यार्थी यदि नियमित अध्ययन साधना करे तो उसे सफलता निश्चित मिलेगी। कर्मचारी और व्यापारी अगर अपने कर्म को पूजा माने तो उसकी प्रगति अवश्य होगी। गृहस्थ जीवन में हर व्यक्ति अगर साधना और संयम रखे तो परिवार सुख और शांति से भरा रहेगा।
नवरात्र हमें यह भी सिखाता है कि साधना मंदिर में दीप जलाने का नाम नहीं है। यह तो जीवन को अनुशासन में ढालने का मार्ग है। यह कठिनाई के बीच धैर्य बनाए रखने का संकल्प है। यह लक्ष्य तक पहुंचने का विश्वास है। जब हम साधना से जुड़े रहते हैं, तो मन की शक्ति बढ़ती है। यही शक्ति हमें हर बुराई से लड़ने का सामर्थ्य देती है। जैसे भगवान राम ने साधना से शक्ति प्राप्त कर रावण पर विजय पाई, वैसे ही हर इंसान साधना से अपने जीवन की कठिनाइयों पर जीत पा सकता है। कुल जमा यह कहा जा सकता है कि साधना ही सफलता का सार है। नवरात्र हमें यही संदेश देता है कि परिश्रम, नियम और भक्ति से जीवन के हर क्षेत्र में विजय संभव है। जिसने साधना को अपनाया, उसने जीवन को साध लिया।
पढ़िए डॉ नीरज गजेंद्र का लिखा- जीवन को बेहतर बनाने का सरल और प्रभावी सूत्र