रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित 2161 करोड़ रुपए के शराब घोटाले में एक और बड़ा खुलासा हुआ है। पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा के खिलाफ EOW (आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा) ने चौथा पूरक चालान पेश कर दिया है। राजधानी रायपुर स्थित विशेष न्यायालय में दाखिल इस चालान की 1100 पन्नों की फाइल ने लखमा की भूमिका को उजागर कर दिया है।
क्या है इस चालान में?
चार्जशीट की 66 पन्नों की समरी में लखमा की प्रत्यक्ष संलिप्तता, नीतिगत निर्णयों में हस्तक्षेप, और शराब व्यापार में भ्रष्टाचार के संरक्षण का ब्योरा दिया गया है। इस चालान में साफ़ लिखा गया है कि खुद को अनपढ़ कहने वाले लखमा को शराब घोटाले की पूरी जानकारी थी, और वे पूरे खेल का हिस्सा थे।
ED पहले ही कर चुकी है गिरफ्तारी
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कवासी लखमा को 15 जनवरी को गिरफ्तार किया था। इससे पहले दो बार उनसे पूछताछ की गई थी। गिरफ्तार करने के बाद लखमा को 7 दिन की कस्टडी में लेकर गहन पूछताछ की गई। इसके बाद 21 जनवरी से 4 फरवरी तक 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया। पिछली सुनवाई में सुरक्षा कारणों के चलते उनकी पेशी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से की गई थी।
इससे पहले भी पेश हुई थी बड़ी चार्जशीट
इससे पहले 13 मार्च को ED ने इसी घोटाले में 3841 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी। उस समय लखमा समेत कुल 22 आरोपियों को नामजद किया गया था, जिनमें कई कारोबारी और कंपनियां शामिल थीं।
नामजद आरोपी:
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कवासी लखमा, पूर्व आबकारी मंत्री
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अनवर ढेबर, रायपुर के रसूखदार कारोबारी
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अनिल टूटेजा, IAS अधिकारी
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त्रिलोक सिंह ढिल्लन,
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छत्तीसगढ़ डिस्टलर,
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वेलकम डिस्टलर,
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ओम साईं ब्रेवरीज,
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टॉप सिक्योरिटी,
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दिशिता वेंचर,
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नेस्ट जेन पावर,
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भाटिया वाइन मर्चेंट,
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सिद्धार्थ सिंघानिया, आदि।
क्या था शराब घोटाला?
इस घोटाले में यह आरोप है कि शराब की खरीदी-बिक्री और निर्माण में नकली बिल, अवैध कमीशन, और राजनीतिक संरक्षण के जरिये एक बड़ा सिंडिकेट काम कर रहा था, जिससे सरकारी खजाने को हजारों करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
निष्कर्ष:
कवासी लखमा जैसे नेता, जो खुद को जनजातीय और अनपढ़ बताकर सहानुभूति लेते रहे, अब कानून की गिरफ्त में हैं। इस चालान से साबित होता है कि उन्होंने न केवल इस भ्रष्टाचार को संरक्षण दिया बल्कि योजनाबद्ध तरीके से इसे संचालित भी किया।