महासमुंद। जिले में कार्यरत करीब 500 कृषक मित्रों का मानदेय पिछले 29 महीनों से रोक दिया गया है, जिससे ग्रामीण स्तर पर काम कर रहे ये सभी कृषक मित्र आर्थिक संकट और मानसिक परेशानी झेल रहे हैं। कृषि विभाग द्वारा “मानदेय अनुमोदन नहीं होने” का हवाला देकर इनका करोड़ों रुपये का भुगतान अटका दिया गया है।
कृषक मित्र संघ महासमुंद ने जताया विरोध
कृषक मित्र संघ महासमुंद ने इस गंभीर विषय पर कई बार कृषि मंत्री, वित्त मंत्री, सांसद, विधायक और कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर शिकायत की है। इसके बावजूद महीनों बीत जाने के बाद भी न तो विभागीय स्तर पर कोई कार्रवाई हुई और न ही किसी अधिकारी ने मामले को गंभीरता से लिया। संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि “विभाग की अड़ियल और तानाशाही नीति” से पूरे जिले के कृषक मित्रों में गहरा असंतोष व्याप्त है।
न प्रशिक्षण, न योजना की जानकारी — कृषक मित्रों की भूमिका सीमित
कृषि विभाग की लापरवाही का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2018 से अब तक किसी भी कृषक मित्र का प्रशिक्षण आयोजित नहीं किया गया है। सरकारी योजनाओं की जानकारी भी उन्हें समय पर नहीं दी जाती। कृषक मित्रों का उपयोग केवल फसल कटाई, गिरदावरी कार्य, किसानों की जानकारी जुटाने और शासन के आयोजनों में भीड़ बढ़ाने तक सीमित कर दिया गया है।
कौशल विकास पर नहीं दिया जा रहा ध्यान
कृषक मित्रों के कौशल विकास और क्षमता निर्माण के लिए विभाग की ओर से अब तक कोई कार्यक्रम नहीं चलाया गया है। इनकी भूमिका किसानों और शासन के बीच सेतु की तरह है, लेकिन प्रशिक्षण और मार्गदर्शन के अभाव में यह तंत्र निष्प्रभावी हो गया है।
संघ का आरोप – “विभागीय लापरवाही से कृषक मित्र हो रहे मानसिक रूप से परेशान”
संघ के सदस्यों ने कहा कि विभाग की लगातार अनदेखी से कृषक मित्र मानसिक रूप से परेशान और आर्थिक रूप से कमजोर हो रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र ही बकाया मानदेय जारी नहीं किया गया और प्रशिक्षण शुरू नहीं हुए तो वे आंदोलन की राह अपनाने पर विवश होंगे।
कृषक मित्रों की मांगें:
29 माह का रुका हुआ मानदेय तत्काल जारी किया जाए।
नियमित प्रशिक्षण और कौशल विकास शिविर आयोजित किए जाएं।
सरकारी योजनाओं की जानकारी और सहभागिता सुनिश्चित की जाए।
कृषक मित्रों के कार्यों का विभागीय मूल्यांकन पारदर्शी तरीके से किया जाए।
महासमुंद जिले के कृषक मित्र लंबे समय से विभागीय उपेक्षा के शिकार हैं। उनकी आर्थिक व मानसिक स्थिति को देखते हुए कृषि विभाग को तत्काल संज्ञान लेकर मानदेय भुगतान और प्रशिक्षण व्यवस्था दुरुस्त करनी चाहिए, ताकि कृषक मित्र वास्तव में किसानों के हित में अपनी भूमिका निभा सकें।


















