570 करोड़ के कोयला घोटाले में नई पेशी: सुप्रीम कोर्ट से जमानत के बाद पहली बार विशेष अदालत में पहुंचे आरोपी

कोयला

📅 रायपुर | 26 जून 2025 । छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित 570 करोड़ रुपये के कोयला लेवी घोटाला मामले में सुप्रीम कोर्ट से सशर्त जमानत मिलने के बाद पहली बार बुधवार को मुख्य आरोपी आईएएस रानू साहू, समीर विश्नोई, और सौम्या चौरसिया सहित अन्य आरोपियों ने ACB-EOW की विशेष अदालत में पेशी दी।

🌐 आरोपी अब छत्तीसगढ़ के बाहर

कोर्ट को बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक सभी आरोपी राज्य से बाहर निवास कर रहे हैं।

  • रानू साहू दिल्ली में अपने भाई के घर पर रह रही हैं।

  • समीर विश्नोई कानपुर में रिश्तेदार के यहां हैं।

  • सौम्या चौरसिया बेंगलुरु में अपने भाई के साथ रह रही हैं।

🧾 कोर्ट की कार्यवाही:

कोर्ट में उपस्थिति दर्ज कराने के बाद सभी आरोपियों ने आदेश पत्रक पर हस्ताक्षर किए।
विशेष न्यायाधीश ने सुनवाई के बाद 23 जुलाई को अगली पेशी की तारीख तय की है।

🔍 क्या है कोयला लेवी घोटाला?

ED की जांच रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई 2020 से जून 2022 के बीच, छत्तीसगढ़ में कोयले के हर टन पर ₹25 की अवैध वसूली की गई।

  • इस अवैध व्यवस्था का आदेश 15 जुलाई 2020 को खनिज विभाग द्वारा जारी हुआ।

  • उस समय विभाग के संचालक IAS समीर विश्नोई थे।

  • परमिट प्रक्रिया को ऑनलाइन से ऑफलाइन कर दिया गया था जिससे सूर्यकांत तिवारी और उसके सहयोगियों ने कोयला व्यापारियों से अवैध धन वसूली की।

👥 मास्टरमाइंड कौन?

मामले का मुख्य आरोपी और मास्टरमाइंड कोल व्यवसायी सूर्यकांत तिवारी को माना गया है।

  • व्यापारियों को 25 रुपये प्रति टन की दर से भुगतान करना होता था।

  • बदले में उन्हें खनिज विभाग से पीटी और ट्रांसपोर्ट परमिट जारी किए जाते थे।

  • यह पैसा सूर्यकांत के सहयोगियों के माध्यम से इकट्ठा किया जाता था।

💰 अवैध कमाई कहां गई?

जांच में सामने आया कि यह राशि:

  • अधिकारियों और नेताओं को रिश्वत देने में,

  • चुनावी खर्चों में,

  • और चल-अचल संपत्तियों की खरीद में खर्च की गई।

🚫 सूर्यकांत को अब भी नहीं मिली जमानत

इस मामले में सूर्यकांत तिवारी की जमानत याचिका अब तक स्वीकार नहीं हुई है।
विशेष कारणों से वे बुधवार की सुनवाई में उपस्थित नहीं हो सके।

📌 कोर्ट के निर्देश

  • सभी आरोपियों के पासपोर्ट अदालत में जमा हैं।

  • किसी भी हालत में वे छत्तीसगढ़ राज्य में निवास नहीं कर सकते।

  • जरूरत पड़ने पर उन्हें जांच एजेंसी और ट्रायल कोर्ट के समक्ष उपस्थित होना होगा।

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