🌼 Pitru Paksha 2025: पितरों का आशीर्वाद चाहिए? पितृ पक्ष में जरूर करें ये 5 कार्य

Pitru Paksha 2025

हिंदू धर्म में पितृ पक्ष को बेहद पवित्र और खास समय माना जाता है। यह वह अवधि है जब हम अपने पूर्वजों (पितरों) को याद करते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और दान जैसे कर्म करते हैं। मान्यता है कि इस समय किया गया हर कार्य सीधे पितरों तक पहुंचता है। उनके आशीर्वाद से जीवन की कठिनाइयाँ दूर होती हैं और घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है।

पितृ पक्ष 2025 की शुरुआत 7 सितम्बर से हो चुकी है। इस दौरान अगर कुछ खास कर्म किए जाएं तो पितरों की कृपा जीवनभर बनी रहती है।


🕉️ पितृ पक्ष में करें ये 5 शुभ कार्य

1. तर्पण और पिंडदान

श्राद्ध का सबसे अहम हिस्सा तर्पण और पिंडदान है। श्रद्धा और सच्चे मन से किया गया पिंडदान पितरों को प्रसन्न करता है। तर्पण से जल और अन्न अर्पित करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है।

2. दान करना

पितृ पक्ष में दान का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। जरूरतमंदों को अन्न, कपड़े, भोजन या धन दान करने से न केवल पितर प्रसन्न होते हैं बल्कि भगवान की कृपा भी मिलती है। इससे घर में बरकत बढ़ती है।

3. व्रत रखना

श्राद्ध तिथि पर व्रत रखना शुभ माना जाता है। इससे मन शुद्ध होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। जब पितर प्रसन्न होते हैं तो वे दुख और बाधाओं को दूर करते हैं।

4. पंचबलि कर्म

पांच जीवों – गाय, कुत्ता, कौवा, चींटी और मछली को अन्न खिलाना पंचबलि कहलाता है। मान्यता है कि इनके जरिए भोजन पितरों तक पहुंचता है। इससे घर में शांति और सुख-समृद्धि बनी रहती है।

5. दीपक जलाना

पितृ पक्ष में घर की दक्षिण दिशा में दीपक जलाना बेहद शुभ माना जाता है। दक्षिण दिशा पितरों की मानी जाती है। यहाँ दीपक जलाने से पितरों की कृपा बनी रहती है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।


🌳 पीपल के नीचे दीपक जलाने का महत्व

पीपल का वृक्ष पवित्र माना जाता है और इसमें पितरों का निवास बताया गया है। पितृ पक्ष में पीपल के नीचे दीपक जलाने से पितर प्रसन्न होते हैं और परिवार को सुख-शांति और उन्नति का आशीर्वाद देते हैं।


निष्कर्ष:
पितृ पक्ष का समय पूर्वजों की आत्मा को तृप्त करने और उनका आशीर्वाद पाने का सर्वोत्तम अवसर है। यदि आप उपरोक्त 5 कार्य श्रद्धा और विश्वास से करते हैं, तो आपके जीवन से सभी बाधाएं दूर होंगी और घर-परिवार पर सुख-समृद्धि की कृपा बनी रहेगी।

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