काठमांडू। नेपाल की राजनीति में ऐतिहासिक बदलाव हुआ है। शुक्रवार की रात राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने नवनियुक्त प्रधानमंत्री सुशीला कार्की की सिफारिश पर प्रतिनिधि सभा भंग कर दी और 21 मार्च 2026 को नए संसदीय चुनाव की तारीख तय कर दी।
73 वर्षीय सुशीला कार्की ने काठमांडू स्थित शीतल निवास में नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली। वह अंतरिम सरकार का नेतृत्व करेंगी और छह महीने के भीतर चुनाव कराने की जिम्मेदारी निभाएंगी।
युवाओं का जश्न और ओली का इस्तीफा
भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया बैन को लेकर देशभर में गुस्से की लहर थी। खासकर Gen-Z युवाओं ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया। इसी दबाव में पूर्व प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा।
कार्की के शपथ ग्रहण के साथ ही काठमांडू की सड़कों पर हजारों युवाओं ने पटाखे फोड़कर जश्न मनाया। राष्ट्रपति कार्यालय के बाहर ‘जेन-जेड’ भीड़ ने नारे लगाए और इस बदलाव का स्वागत किया।
न्यायपालिका से राजनीति तक का सफर
सुशीला कार्की का जन्म 7 जून 1952 को विराटनगर के एक साधारण किसान परिवार में हुआ। सात भाई-बहनों में सबसे बड़ी कार्की ने संघर्षों के बीच पढ़ाई पूरी की।
1971: त्रिभुवन विश्वविद्यालय से स्नातक
1975: बीएचयू (वाराणसी) से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर
1978: कानून की डिग्री
1979: वकालत की शुरुआत
2016: नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनीं (11 महीने तक कार्यकाल)
‘जीरो टॉलरेंस’ वाली जज
कार्की की छवि एक साहसी और ईमानदार न्यायाधीश की रही है। उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई और निष्पक्ष न्याय की वकालत की।
यहाँ तक कि तत्कालीन प्रधानमंत्री शेरबहादुर देउबा की सरकार ने उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव भी लाया था, लेकिन कड़ी आलोचना के बाद इसे वापस लेना पड़ा।
अब निगाहें चुनाव पर
नेपाल की इस नई राजनीतिक पारी ने लंबे समय से चली आ रही अस्थिरता पर विराम लगाया है। अब सबकी निगाहें इस पर हैं कि सुशीला कार्की की अंतरिम सरकार अगले छह महीनों तक देश में स्थिरता ला पाती है या नहीं और तय समय पर चुनाव कराती है।





















