*पिता का कर्ज वसूलने बैंक अफसर ने दी धमकी, डर में कोटवार बेटे ने लगाई फांसी*

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– दिवंगत पिता का बैंक लोन जान देकर भी जमा नहीं कर सका कोटवार बेटा।

– परिजनों ने साहूकार से कर्ज लेकर रिश्वत दी तब हुआ शव का पोस्टमार्टम।

– पैसे के अभाव में नहीं मिला शव वाहन, तो खाद से लदे ट्रैक्टर से घर पहुंची लाश।

– महासमुंद जिले के तुमगांव थानांतर्गत मालीडीह गांव की घटना।

*रायपुर*। बैंक आफ बडौदा के अफसर की धमकी ने लोन कस्टमर को मौत के घाट उतार दिया। जान देने के बाद भी हालांकि मृतक अपने पिता का कर्ज बैंक को लौटा नहीं सका, बल्कि अपने शव का पोस्ट मार्टम कराने के लिए परिजनों को और कर्ज लेने पर मजबूर कर दिया। घटना महासमुंद जिले के तुमगांव थानांतर्गत मालीडीह गांव की है। पता चला है कि पैसों के अभाव में लाश को घर तक पहुंचाने के लिए शव वाहन नहीं मिला। परिजनों ने कृषि कार्य में लगे खाद से लदे एक ट्रैक्टर के सहारे लाश को घर पहुंचाया। मृतक रामनारायण देवदास (46 वर्ष) मालीडीह गांव का कोटवार था।

इस ट्रैक्टर में कोटवार की लाश को अस्पताल तक पहुंचाया

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छत्तीसगढ़ कोटवार की खुदखुशी

*जानिए पूरा मामला*-

परिजनों ने बताया कि मृतक के पिता सेवकराम देवदास ने बैंक आफ बडौदा की तुमगांव शाखा से लोन कृषि लोन लिया था। कर्ज लेने के कुछ महीनों बाद सेवकराम की मौत हो गई। सेवकराम भी गांव का कोटवार था, उसकी मौत के बाद कोटवारी का जिम्मा रामनारायण को मिला। सेवकराम ने बैंक से कर्ज लिया था इसकी जानकारी परिवार को बैंक नोटिस के जरिए मिली। पिता के लिए कर्ज को अदा करने परिवार में चर्चा हो ही रही थी कि बैंक का अफसर आ धमका, और उसने रामनारायण को परिवार के समक्ष धमकियां दी, और बैंक में उपस्थित होने के लिए दबाव बनाया। बैंक अफसर की धमकी और दबाव से आहत रामनारायण परिवार के समक्ष हुए अपमान को सह नहीं सका और उसने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।

रामनारायण की बेटी तन्नु देवदास की माने तो उसके पिता अफसर की धमकी से बेहद डरे हुए थे, आत्महत्या से पहले वह घर से यह कहते हुए निकले थे कि बैंक के अफसर उन्हें बेइमान और बेशर्म कहकर अपमानित किए हैं, गांव के लोगों को पता चलेगा तो उसका गलियों में निकलना कठिन हो जाए। उसे ईमानदारी के लिए गांव में जो सम्मान मिलता रहा है वह सब मिट्‌टी में मिल जाएगा। पता चला है कि बैंक अफसर ने रामनारायण को फोन पर भी धमकियां दी थी। ग्रामीणों का कहना है कि रामनारायण बेहद स्वाभिमानी था। वह गांव के हित के लिए शासन और प्रशासन के बीच उठता-बैठता था।

(Disclaimer: पूरी सूचना परिजनों, ग्रामीणों और पुलिस से मिली जानकारी पर आधारित)

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