भाजपाइयों ने अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा किया

भाजपाइयों ने अपनी ही सरकार

महासमुंद राज्य में भाजपा सरकार के गठन के बाद भी नशे का अवैध कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब खुद भाजपा के स्थानीय जनप्रतिनिधि और पार्षदों ने अपनी ही सरकार और प्रशासनिक तंत्र को कठघरे में खड़ा करते हुए महासमुंद में जारी शराब और नशीली दवाओं की अवैध बिक्री पर कड़ा ऐतराज जताया है।

भाजपा पार्षदों ने एएसपी को सौंपा ज्ञापन

बुधवार को नगर पालिका महासमुंद के 17 भाजपा पार्षद और मंडल पदाधिकारियों ने अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ASP) प्रतिभा पांडेय को ज्ञापन सौंपते हुए तत्काल कार्रवाई की मांग की। ज्ञापन में कहा गया है कि नगर में शराब और नशीली दवाओं का अवैध कारोबार खुलेआम फल-फूल रहा है, जिससे न सिर्फ सामाजिक वातावरण बिगड़ रहा है बल्कि अपराध भी बढ़ रहे हैं।

कौन-कौन रहे शामिल?

ज्ञापन सौंपने वालों में भाजपा शहर मंडल अध्यक्ष महेन्द्र सिका, नगर पालिका उपाध्यक्ष देवीचंद राठी, नेता प्रतिपक्ष नानू भाई, महामंत्री मीना वर्मा, उपाध्यक्ष मुन्ना साहू, राजू चंद्राकर सहित कई पार्षद और पदाधिकारी शामिल थे। इनमें प्रमुख नाम – सुनैना पप्पू ठाकुर, सीता डोन्डेकर, जरीना हफीज कुरैशी, माखन पटेल, कल्पना सूर्यवंशी, माधुरी यदु, प्रीति मक्कड़, चंद्रशेखर बेलदार, भाउराम साहू, पियुष साहू, शुभ्रा शर्मा, धनेश्वरी सोनवानी, सोनाधर सोनवानी, और विधायक प्रतिनिधि हफीज कुरैशी प्रमुख रहे।

मुख्यमंत्री की चेतावनी भी बेअसर?

ज्ञात हो कि मुख्यमंत्री ने कुछ माह पहले स्पष्ट निर्देश दिए थे कि किसी भी जिले में यदि नशे का अवैध व्यापार सामने आता है तो इसके लिए संबंधित एसपी जिम्मेदार माने जाएंगे। बावजूद इसके, महासमुंद में अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि राज्य में सरकार बनने से पहले कहा गया था कि अवैध कार्यों पर सख्त रोक लगेगी, लेकिन वास्तविकता इसके विपरीत है।

“मुखबिर क्या कर रहे हैं?” – उठे सवाल

नगर पालिका उपाध्यक्ष देवीचंद राठी ने पुलिस तंत्र पर सवाल उठाते हुए कहा कि पुलिस हमसे अवैध गतिविधियों की जानकारी मांग रही है, जबकि उनके पास मुखबिर तंत्र मौजूद है। उन्होंने कहा, “अगर ओडिशा से गांजा तस्करी की खबर मुखबिरों के जरिए मिलती है, तो क्या जिले में कौन अवैध कारोबार कर रहा है, इसकी जानकारी नहीं मिलती?”

  • भाजपा पार्षदों ने एसपी को ज्ञापन देकर कार्रवाई की मांग की

  • शराब और नशीली दवाओं की अवैध बिक्री से नाराजगी

  • मुख्यमंत्री के निर्देशों का ज़मीनी असर नहीं

  • पुलिस के मुखबिर तंत्र की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल

महासमुंद की यह घटना बताती है कि सत्ता में आने के बावजूद भाजपा के जनप्रतिनिधि खुद अवैध गतिविधियों को लेकर असंतुष्ट हैं। यह सवाल राज्यभर में प्रशासन की कार्यशैली और कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर गंभीर बहस छेड़ सकता है।

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