महादेवा (कोमाखान)| सावन मास के अंतिम सोमवार को कसेकेरा की सुरम्य वादियों में विराजमान बिजेश्वरनाथ महादेव धाम श्रद्धा और भक्ति के सागर में डूबा रहा। अर्धरात्रि से ही कांवर लेकर निकले शिवभक्तों का तांता लगना प्रारंभ हो गया। जैसे-जैसे भोर हुई, जयकारों की गूंज और रुद्राभिषेक की ध्वनि से पूरा वातावरण शिवमय हो उठा। इस स्वयंभू शिवलिंग पर जलाभिषेक करने की मान्यता वर्षों से चली आ रही है। श्रद्धालु यहां बेलपत्र, धतूरा, कनेर, शमी पत्र, दूध-दही और शहद के साथ अभिषेक कर भगवान आशुतोष से मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
कोमाखान से पाँच किलोमीटर की दूरी पर बसे महादेवा गांव में स्थित यह मंदिर अपने प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिक ऊर्जा के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर परिसर के चारों ओर हरियाली और पहाड़ी वादियां मन को शांति देती हैं, वहीं शिवलिंग की उपस्थिति आत्मा को गहराई से स्पर्श करती है। श्रावण सोमवार के इस विशाल आयोजन को सुचारू रूप से संचालित करने में मंदिर प्रबंधन समिति की भूमिका सराहनीय रही। श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने और सुविधा प्रदान करने हेतु पुलिस बल और स्वयंसेवकों ने पूरी तत्परता से कार्य किया। यह धाम केवल महासमुंद ही नहीं, रायपुर, बलौदाबाजार, गरियाबंद और ओडिशा के सीमावर्ती क्षेत्रों से भी श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।
श्रावण सोमवार को महादेवा में जो दृश्य उपस्थित हुआ, वह केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, अपितु श्रद्धा, समर्पण और सांस्कृतिक चेतना का जीवंत चित्र था। ऐसी अनुभूति विरले ही देखने को मिलती है, जब किसी स्थान की मिट्टी भी भक्ति से महकने लगती है। यह स्थान धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जा सकता है। यदि यहाँ अवस्थापना सुविधाएं बढ़ाई जाएं, तो यह क्षेत्र पूरे राज्य के लिए शिव भक्ति का प्रमुख केंद्र बन सकता है।
महादेव में भक्ति का चरम
श्रावण मास को शिवभक्ति का सर्वोत्तम काल माना गया है। मान्यता है कि इस मास में रुद्राभिषेक, उपवास और बेलपत्र अर्पण करने से भगवान शिव विशेष रूप से प्रसन्न होते हैं। महादेवा धाम में यह आस्था प्रत्यक्ष रूप में देखने को मिलती है।
विशाल भंडारा और कथा
श्रावण सोमवार को मंदिर प्रांगण में हजारों श्रद्धालुओं के लिए महाप्रसाद और भंडारे की व्यवस्था की गई थी, जो सुबह से देर रात तक चलता रहा। इस सेवा कार्य में क्षेत्र के प्रतिष्ठित धार्मिक परिवारों की सक्रिय भागीदारी रही। मंच पर शिव-राम कथा का भव्य आयोजन भी किया गया, जिसमें कथावाचकों की वाणी से शिव की महिमा का बखान सुनकर उपस्थित श्रद्धालु भावविभोर हो उठे। कथा के प्रत्येक प्रसंग पर भक्तों की आस्था और समर्पण छलकता रहा।
नाग-नागिन जोड़े का दर्शन
इस मंदिर की एक अनोखी मान्यता है कि यहाँ आरती के समय अक्सर नाग-नागिन का जोड़ा प्रकट होता है। सावन सोमवार को भी कुछ श्रद्धालुओं ने इस चमत्कारी दर्शन का अनुभव किया, जिसे शिव की दिव्य उपस्थिति का संकेत माना गया। लगभग 200 वर्ष पुराने इस धाम की कोई निश्चित जानकारी उपलब्ध नहीं है, किंतु मान्यता है कि यहाँ स्थापित शिवलिंग स्वतः प्रकट हुआ था। यही कारण है कि यहाँ दर्शन मात्र से श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति का विश्वास लेकर आते हैं।
यातायात और पहुँच मार्ग
कोमाखान रायपुर से लगभग 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। वहां से महादेवा मंदिर केवल पाँच किलोमीटर दूर है। निजी वाहन या लोकल साधनों से आसानी से मंदिर पहुँचा जा सकता है।