महासमुंद। आस्था की कोई सीमा नहीं होती। यह न दूरी मानती है और न ही देशों की सरहदें। इसका एक जीवंत उदाहरण डॉ. नवीन खन्ना हैं। वे इंग्लैंड के मैनचेस्टर में चिकित्सा सेवाएं दे रहे। वे हर साल की तरह इस साल भी नवरात्र में महासमुंद जिले के घुचापाली स्थित प्रसिद्ध चंडी माता मंदिर में अपनी मनोकामना की ज्योति प्रज्ज्वलित करवा रहे हैं।
डॉ. नवीन खन्ना ने मंदिर की ऑनलाइन सुविधा का लाभ लेते हुए दूर रहकर भी अपने नाम की ज्योति प्रज्ज्वलित कराई। उनका कहना है कि मां चंडी की कृपा और आशीर्वाद से ही वे जीवन के इस मुकाम तक पहुंचे हैं। उन्होंने भावुक होकर कहा किभले ही मेरे नाम की ज्योति मां चंडी के धाम में प्रज्ज्वलित है, लेकिन उस ज्योति का प्रकाश और उसकी ऊर्जा मुझे इंग्लैंड में भी शक्ति प्रदान करती है। सात समंदर पार रहते हुए भी यह दिव्य ज्योति मुझे रास्ता दिखाती है।
डॉ. नवीन खन्ना का उदाहरण यह संदेश देता है कि तकनीक ने चाहे जितनी दूरियां घटाई हों, लेकिन आस्था की डोर हमेशा ही मनुष्य को उसके मूल से जोड़े रखती है। वे जहां भी रहें, अपने गांव और देवी-देवताओं से जुड़े रहते हैं। नवरात्र के इस पर्व पर सात समंदर पार से भी प्रज्ज्वलित हुई उनकी मनोकामना ज्योति इस विश्वास को और मजबूत करती है कि मां चंडी की कृपा हर श्रद्धालू तक पहुंचती है।
परंपरा और आधुनिकता का संगम
बागबाहरा का चंडी धाम नवरात्र में आस्था का अनोखा केंद्र बना हुआ है। यहां हर साल हजारों श्रद्धालु मनोकामना ज्योति प्रज्ज्वलित कराते हैं। खास बात यह है कि मंदिर प्रबंधन ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए ऑनलाइन chandimata.in की व्यवस्था दी है, जिससे देश-विदेश के भक्त भी अपने नाम की ज्योति यहां प्रज्ज्वलित करा रहे हैं। इसी सुविधा के माध्यम से डॉ. नवीन खन्ना हर साल इस परंपरा को निभा रहे हैं।
8021 ज्योति कलशों से आलोकित धाम
नवरात्र के अवसर पर चंडी धाम में इस वर्ष कुल 8021 ज्योति कलश प्रज्ज्वलित किए गए हैं। इनमें सौ से अधिक ज्योति देश के विभिन्न हिस्सों से प्रज्ज्वलित कराई गई हैं। यह दर्शाता है कि मां चंडी के प्रति श्रद्धा केवल बागबाहरा या छत्तीसगढ़ तक सीमित नहीं है, बल्कि देशभर और विदेशों तक फैली हुई है।
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