**महासमुंद में ‘ऑपरेशन चखना’ का कमाल, शराब बेचने वाला अब भी फरार, लेकिन 55 पौवा प्लेन पुलिस के हत्थे चढ़ ही गया**

बागबाहरा में पुलिस का ‘ऑपरेशन चखना’… पांच जगह छापे, शराबियों में खलबली

महासमुंद। जिले में शराबखोरी पर लगाम कसने के उद्देश्य से पुलिस द्वारा चलाया जा रहा बहुचर्चित “ऑपरेशन चखना” अब धीरे-धीरे अपने असली रंग में आता नजर आ रहा है। कोमाखान, बागबाहरा और बसना के बाद अब तेंदूकोना पुलिस ने इस अभियान को ऐसा झटका दिया कि शराब तो पकड़ी गई… लेकिन परोसने वाले हमेशा की तरह “दौड़ में अव्वल” साबित हुए।

अब तक 30 से ज्यादा चखना सेंटरों पर कार्रवाई हो चुकी है।
नतीजा यह रहा कि —

  • शराब पीने वाले भाग गए

  • डिस्पोजल गिलास पकड़े गए

  • खुली शराब की शीशियां जब्त हुईं

  • और शराब बेचने वाला… अब भी लापता है

यानि ऑपरेशन चखना में चखना तो पकड़ा जा रहा है,
पर “ठेका” अब भी सिस्टम से फिसलता दिख रहा है।


डिस्पोजल गिलास के सहारे कानून का डंडा

तेंदूकोना थाना क्षेत्र में पेट्रोल पंप, बस स्टैंड, पक्की सड़क और ठेलों के आसपास चल रहे इन “अघोषित बारों” पर जब पुलिस पहुंची, तो नियमित ग्राहक पुलिस पार्टी देखकर ऐसे गायब हुए मानो मुफ्त की शराब खत्म होने की सूचना मिल गई हो।

कुछ मामलों में पुलिस को मौके से

  • 50–60 ML बची देशी प्लेन शराब

  • 180 ML की खाली/अधभरी शीशी

  • 2 नग डिस्पोजल गिलास

जैसा “महत्वपूर्ण आपराधिक साक्ष्य” हाथ लगा,
जिसके आधार पर धारा 36(C) आबकारी एक्ट के तहत कार्रवाई की गई।


असली कामयाबी: 55 पौवा प्लेन की गिरफ्तारी

हालांकि, ऑपरेशन की असली सफलता तब सामने आई जब
तेंदूकोना पुलिस ने 55 पौवा देशी प्लेन शराब को उस वक्त दबोच लिया,
जब वह अपाचे बाइक में बैठकर “बिक्री हेतु यात्रा” पर निकली थी।

  • 9900 ML देशी प्लेन शराब जब्त

  • कीमत करीब 4400 रुपये

  • अपाचे मोटरसाइकिल भी जब्त

  • कुल मशरूका करीब 39,400 रुपये

इस बार न केवल शराब,
बल्कि शराब ले जाने वाला भी मौके पर मिल गया,
जो ऑपरेशन चखना के इतिहास में एक उल्लेखनीय उपलब्धि मानी जा रही है।


व्यंग्यात्मक निष्कर्ष

महासमुंद में ऑपरेशन चखना यह साबित कर रहा है कि —

  • शराब पीना जोखिम भरा हो सकता है

  • शराब ले जाना और भी ज्यादा

  • लेकिन शराब बेचना… अब भी सबसे सुरक्षित पेशा है

फिलहाल पुलिस की सक्रियता सराहनीय है,
पर जनता यह सवाल जरूर पूछ रही है कि
अगर चखना पकड़ा जा सकता है,
तो ठेका क्यों नहीं?

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