शिक्षा विभाग में गुणवत्ता के नाम पर घोटाले की आशंका

शिक्षा विभाग में गुणवत्ता के नाम पर घोटाले की आशंका

रायपुर। राज्य में कई विद्यालयों को एक ही परिसर में मर्ज किया गया है, जिससे उनके संसाधन, अनुदान राशि और पहचान समाप्त हो गई है। मर्ज शालाओं के शिक्षकों और संसाधनों को लेकर स्पष्टता नहीं है। स्वच्छ भारत अभियान और समग्र शिक्षा के तहत इन विद्यालयों की गलत प्रविष्टि कर केंद्र सरकार को गुमराह करने की संभावना जताई जा रही है। शिक्षकों को अपने खर्च पर विद्यालय संचालन के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। स्वतंत्र जांच से मामले की सच्चाई उजागर हो सकती है।

विद्यालयों का मर्जर और संसाधनों का स्थानांतरण:

    • राज्य में एक ही परिसर में स्थित कई विद्यालयों को मर्ज किया गया है।
    • मर्ज किए गए विद्यालयों के भौतिक और शैक्षणिक संसाधन, जैसे प्रधानाध्यापक की सील-मोहर, शौचालय, मूत्रालय, और अन्य सामग्री उच्च संस्थाओं को सौंप दी गई है।
    • मर्ज विद्यालयों का औचित्य समाप्त कर दिया गया है, और उनके नाम अब उच्च संस्थाओं के नाम से जोड़े जा रहे हैं।
  1. अनुदान राशि की वापसी और केंद्र को गुमराह करने की आशंका:

    • मर्ज विद्यालयों को समग्र शिक्षा से प्राप्त अनुदान राशि को सरकार ने वापस ले लिया है।
    • स्वच्छ भारत अभियान के तहत इन मर्ज विद्यालयों की प्रविष्टि अनिवार्य रूप से कराई जा रही है, जिससे यह शक होता है कि राज्य सरकार केंद्र सरकार को गुमराह कर रही है और समग्र शिक्षा की राशि का दुरुपयोग कर रही है।
  2. प्रशासनिक अनियमितताएं:

    • मर्ज विद्यालयों के शिक्षकों के लिए एकल उपस्थिति पंजी बनाई गई है, लेकिन उनकी सेवापुस्तिका और अंतिम वेतन प्रपत्र अभी तक स्थानांतरित नहीं किए गए हैं।
    • शिक्षकों को यह स्पष्ट नहीं है कि वे किस विद्यालय के शिक्षक हैं, और विभाग के अधिकारी भी इस पर कोई जवाब देने को तैयार नहीं हैं।
  3. ऑनलाइन जानकारी और दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति में समस्या:

    • मर्ज विद्यालयों के शिक्षकों को अपने पैसे से विद्यालय संचालन के लिए विवश किया जा रहा है।
    • ऑनलाइन जानकारी और दैनिक उपयोग की सामग्रियों की कमी के कारण शैक्षणिक गतिविधियां प्रभावित हो रही हैं।
  4. जांच की आवश्यकता:

    • स्वतंत्र जांच के माध्यम से यह स्पष्ट किया जा सकता है कि मर्ज विद्यालयों की समग्र राशि और संसाधनों का उपयोग कहां और कैसे किया जा रहा है।
    • यह जांच केंद्र सरकार की योजनाओं के सही कार्यान्वयन में भी पारदर्शिता सुनिश्चित करेगी।

सम्भावित घोटाले के परिणाम:

  • शिक्षकों और छात्रों को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।
  • केंद्र और राज्य सरकार के बीच योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता की कमी।
  • समग्र शिक्षा और स्वच्छ भारत अभियान की राशि के दुरुपयोग की आशंका।

समाधान और सुझाव:

  1. मर्ज विद्यालयों की स्वतंत्र जांच कराई जाए।
  2. शिक्षकों की सेवापुस्तिका और वेतन प्रपत्रों को शीघ्र स्थानांतरित किया जाए।
  3. केंद्र सरकार को मर्ज विद्यालयों के संबंध में पारदर्शी रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।
  4. स्वच्छ भारत अभियान और समग्र शिक्षा अभियान के धन के उपयोग पर सख्त निगरानी रखी जाए।

यह रिपोर्ट शिक्षा विभाग में प्रशासनिक अनियमितताओं और संभावित घोटाले की ओर इशारा करती है। स्वतंत्र जांच और पारदर्शिता से ही इस स्थिति को सुधारा जा सकता है।

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