नई दिल्ली। लाल किला ब्लास्ट के बाद देशभर में फिर एक शब्द चर्चा में है — “फिदायीन हमला”। कई लोग इसे ‘आत्मघाती हमला’ भी कहते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं, आखिर फिदायीन हमला होता क्या है, इसमें कौन लोग शामिल होते हैं और इसे आतंकवादी संगठन क्यों अपनाते हैं? आइए समझते हैं विस्तार से—
क्या होता है फिदायीन हमला?
फिदायीन हमला यानी ऐसा हमला जिसमें हमलावर जानबूझकर अपनी जान देने के लिए तैयार होता है। यह हमला सामान्य हमले से अलग होता है क्योंकि इसमें हमलावर का लक्ष्य केवल दुश्मन को नुकसान पहुँचाना नहीं, बल्कि अपने जीवन की आहुति देकर बड़ा संदेश देना या भारी तबाही मचाना होता है। ‘फिदायीन’ शब्द अरबी भाषा से आया है, जिसका अर्थ है — कुर्बान होने वाला या बलिदानी योद्धा।
कैसे किए जाते हैं ऐसे हमले?
आत्मघाती या फिदायीन हमले कई तरीकों से किए जाते हैं —
कार या ट्रक बम विस्फोट (जैसे पुलवामा हमला)
खुदकुश जैकेट पहनकर भीड़भाड़ वाले इलाके में धमाका
विमान या वाहन को हथियार बनाना
फायरिंग के साथ विस्फोट यानी दुश्मन पर हमला करते-करते खुद को उड़ाना
इनमें एक समान बात यह होती है कि — हमलावर पहले से तय करता है कि वह इस हमले में जिंदा नहीं बचेगा।
क्यों करते हैं आतंकी ऐसे हमले?
फिदायीन हमलों का मुख्य मकसद अधिकतम जनहानि, डर फैलाना और राजनीतिक या धार्मिक संदेश देना होता है। कई बार आतंकवादी संगठन ऐसे लोगों को तैयार करते हैं जिन्हें यह विश्वास दिलाया जाता है कि उनकी “शहादत” किसी पवित्र मिशन का हिस्सा है।
भारत में हुए बड़े फिदायीन हमले
भारत में अब तक कई बड़े फिदायीन हमले हो चुके हैं —
पुलवामा हमला (2019) – CRPF के काफिले पर आत्मघाती हमला, 40 जवान शहीद
उरी हमला (2016) – आतंकियों ने सेना के कैंप में घुसकर फिदायीन हमला किया
पार्लियामेंट हमला (2001) – जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने संसद पर आत्मघाती हमला किया
लाल किला ब्लास्ट (2025) – हालिया मामला, जिसमें फिदायीन हमले का शक जताया गया
क्या कहते हैं सुरक्षा विशेषज्ञ?
सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, फिदायीन हमला केवल आतंक नहीं, बल्कि मानसिक और वैचारिक युद्ध (psychological warfare) का भी हिस्सा होता है। इन हमलों से समाज में भय फैलता है, और आतंकी संगठन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित करने की कोशिश करते हैं।


















