घायल किसान से मिलने मेकाहारा पहुंचा कांग्रेस डेलीगेशन: परिवार को हर संभव सहायता का भरोसा

किसान की चीख सरकार तक नहीं पहुंची—गला काटने पर मजबूर, कांग्रेस नेताओं ने संभाली जिम्मेदारी

महासमुंद। छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के ग्राम सेनभाठा से एक दर्दनाक घटना सामने आई है। यहां किसान मनबोध गाड़ा (65 वर्ष) ने धान खरीदी के लिए टोकन न मिलने की समस्या से मानसिक रूप से परेशान होकर अपने गले पर ब्लेड से वार कर लिया। उनकी स्थिति गंभीर है और उन्हें तत्काल रायपुर के मेकाहारा अस्पताल रेफर किया गया, जहां उनका इलाज जारी है।

घटना की सूचना मिलते ही पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत और छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) अध्यक्ष दीपक बैज शनिवार देर शाम मेकाहारा अस्पताल पहुंचे। कांग्रेस नेताओं ने किसान के परिजनों से मुलाकात कर स्थिति की जानकारी ली और हर संभव मदद का भरोसा दिया।


भूपेश बघेल बोले—“किसान की मजबूरी सरकार की विफलता है”

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि मनबोध गाड़ा जैसे छोटे किसान को न ऑनलाइन और न ऑफलाइन टोकन मिल सका, जिससे वह लगातार तनाव में थे।

उन्होंने कहा—
बेटी की शादी तय थी, धान नहीं बिक पा रहा था… इसी मानसिक दबाव में किसान को ऐसा कदम उठाना पड़ा। यह बेहद दुखद और राज्य सरकार की विफल व्यवस्था का परिणाम है।”

बघेल ने बताया कि डॉक्टरों के अनुसार किसान की श्वास नली कट गई है और ऑपरेशन जारी है।
उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक किसान की कहानी नहीं है—हजारों किसान टोकन व्यवस्था की अव्यवस्था से जूझ रहे हैं।


कांग्रेस ने दी सहायता का भरोसा

कांग्रेस नेताओं ने किसान के परिवार को पूरी मदद देने की घोषणा की।
भूपेश बघेल ने कहा कि वे लगातार धान खरीदी की अव्यवस्था की ओर सरकार का ध्यान दिलाते रहे हैं, लेकिन किसी तरह का सुधार देखने को नहीं मिला।


टोकन के लिए तीन दिन से लगा रहे थे चक्कर

जानकारी के अनुसार मनबोध गाड़ा के पास 1 एकड़ 40 डिसमिल कृषि भूमि है।
वे पिछले तीन दिनों से च्वाइस सेंटर में टोकन कटवाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन हर बार असफल रहे।

शनिवार सुबह करीब 8 बजे वे गाय चराने के बहाने घर से निकले और खेत के पास ही आत्महत्या का प्रयास कर लिया।

परिजन और ग्रामीणों ने गंभीर हालत में उन्हें अस्पताल पहुंचाया।


ग्रामीणों में गुस्सा, प्रशासन पर सवाल

घटना के बाद ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। ग्रामीणों का कहना है कि लगातार शिकायतों के बावजूद टोकन व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ, जिससे छोटे किसान भारी परेशानियों से जूझ रहे हैं।

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