रायपुर। कोल घोटाला में आरोपी निलंबित IAS अधिकारी रानू साहू, सूर्यकांत तिवारी और सौम्या चौरसिया के लिए राहत भरी सूचना है. सुप्रीम कोर्ट ने शर्तों के साथ अंतरिम जमानत दी है.
कोल घोटाला मामले में आरोपियों की याचिका पर justice सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की डबल बैंच ने सुनवाई करने के बाद अंतरिम जमानत दी. लेकिन साथ में गवाहों को प्रभावित करने की आशंका के चलते इनके छत्तीसगढ़ में रहने पर पाबंदी लगाई है. हालांकि, इन आरोपियों को ईओडब्ल्यू (EOW) में कई अन्य मामलों की वजह से जेल में ही रहना होगा.
जानें क्या है कोयला लेवी मामला
ED की जांच में सामने आया कि कुछ लोगों ने राज्य के वरिष्ठ राजनेताओं और नौकरशाहों से मिलीभगत के बाद ऑनलाइन मिलने वाले परमिट को ऑफलाइन कर कोयला ट्रांसपोर्ट करने वालों से अवैध वसूली की. जुलाई 2020 से जून 2022 के बीच कोयले के हर टन पर 25 रुपए की अवैध लेवी वसूली गई.
15 जुलाई 2020 को इसके लिए आदेश जारी किया गया था. खनिज विभाग के तत्कालीन संचालक IAS समीर बिश्रोई ने आदेश जारी किया था. यह परमिट कोल परिवहन में कोल व्यापारियों से लिया जाता है. पूरे मामले का मास्टरमाइंड किंगपिन कोल व्यापारी सूर्यकांत तिवारी को माना गया.
इसमें व्यापारी जो पैसे देता उसे ही खनिज विभाग से पीट और परिवहन पास जारी होता था, यह रकम 25 रुपए प्रति टन के हिसाब से सूर्यकांत के कर्मचारियों के पास जमा होती थी. इस तरह से स्कैम कर कुल 570 करोड़ रुपए की वसूली की गई.
जानें कहां खर्च की अवैध कमाई
जांच में सामने आया है कि इस घोटाले की राशि को सरकारी अधिकारियों और राजनेताओं को रिश्वत देने में खर्च किया गया. साथ ही चुनावी खर्चों के लिए भी इस अवैध राशि का उपयोग किया गया. आरोपियों ने इससे कई चल-अचल संपतियों को खरीदा.