Jyeshtha Month 2025: ज्योतिष गणना के मुताबिक, ज्येष्ठ साल का तीसरा महीना होता है. इस साल ज्येष्ठ मास की शुरुआत ज्येष्ठ माह 13 मई को प्रारंभ होगा और 11 जून तक रहेगा। ज्येष्ठ मास ग्रीष्म ऋतु का ऐसा समय होता है, जिसमें प्रचंड गर्मी पड़ती है. यह महीना हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इस माह में धार्मिक, आध्यात्मिक और भक्ति कार्यों का विशेष महत्व होता है.
ज्येष्ठ महीने में ही नौतपा की भी शुरुआत होती है और पूरे 9 दिनों तक लोगों को भयंकर गर्मी का अहसास होने लगता है. शास्त्रों में ज्येष्ठ मास (Jyeshtha Month) को लेकर कई नियम बताए गए हैं, जो कि सेहत के लिए अनुकूल माने गए हैं. इन्हीं में एक है आहार लेने के नियम. शास्त्रों और भारतीय परंपरा में ऋतु अनुसार आहार ग्रहण करने यानी खान-पान के नियमों के बारे में बताया गया है.
इस दोहे को समझिए
चैते गुड़ बैसाखे तेल जेठे मिर्च, आषाढ़ बेल।
सावन साग भादो मही क्वांर करेला कार्तिक दही।।
अगहन जीरा पूस धना माघै मिश्री फाल्गुन चना।
जो कोई इतने परिहरै, ता घर बैद पैर नहिं धरै।।
इस दोहे का अर्थ है कि, चैत महीने में गुड़, वैशाख में तेल, (Jyeshtha Month) जेठ में मिर्च-मसाला, आषाढ़ में बेल, सावन में साग, भादो में दही, क्वार में दूध, कार्तिक में दही, अगहन में जीरा, पूस में धनियां, माघ में मिश्री और फागुन महीने में चने का सेवन सेहत के लिए बहुत हानिकारक होता है. इसलिए शास्त्रों में ऋतुचर्या के अनुसार आहार ग्रहण की बात कही गई है. ऋतु क मुताबिक, भोजन ग्रहण करने से शरीर स्वस्थ रहता है और खतरनाक बीमारियों दूर रहती हैं.
जानें ज्येष्ठ महीने में कैसी होनी चाहिए भोजन की थाली
ज्येष्ठ (Jyeshtha Month) के महीने में खाने-पीने के नियमों का पालन करना बहुत जरूरी होता है. क्योंकि इस दौरान कुछ भी खा-पी लेना सेहत के लिए बहुत डेंजर साबित हो सकता है. इसलिए इस महीने खासकर गरिष्ठ भोजन से दूर रहना चाहिए. ज्येष्ठ मास में अत्यधिक तेल-मसाले वाला भोजन, तला-भुना आदि से दूरी बनाना की हितकर है.
ज्येष्ठ (Jyeshtha Month) के महीने में भोजन के विषय में महाभारत में कहा गया है कि- ‘ज्येष्ठामूलं तु यो मासमेकभक्तेन संक्षिपेत्। ऐश्वर्यमतुलं श्रेष्ठं पुमान्स्त्री वा प्रपद्यते।‘ यानी ज्येष्ठ मास में दिन में एक ही समय भोजन करें. इससे व्यक्ति निरोगी रहता है और धनवान बनता है.
ज्येष्ठ (Jyeshtha Month) महीने में आप अपने भोजन में मौसमी फल और हरी सब्जियों को शामिल करें. साथ ही सत्तू और बेल से बनी चीजों का सेवन करना चाहिए.
इस महीने हो सके तो अधिक से अधिक तरल पदार्थों (दही, छाछ, लस्सी, जूस आदि) को आहार में शामिल करें. क्योंकि मसालेदार भोजन से आपको चक्कर आ सकती है या घबराहट हो सकती है.
ज्येष्ठ (Jyeshtha Month) के महीने में बैंगन को अपने आहार में शामिल बिल्कुल न करें. इससे स्वास्थ प्रभावित होता है और गठिया रोग की संभावना बढ़ती है. शास्त्रों में कहा गया है कि, ज्येष्ठ मास में बैंगन खाने से संतान को भी कष्ट होता है.
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