रायगढ़ । जहां पैदा हुए, बचपन गुजरा और जवानी की दहलीज पर पहुंचे तो यही पर हाथ पीले हुए। कोई अपनी मां के साथ रहता था तो कोई भाई के साथ। सभी परिवारों का जीवन रोजी रोटी कमाकर सुख- चैन से गुजर रहा था। सपने में भी नहीं देखे थे कि जिस कुटिया को पूरे परिवार ने तिल तिल जोड़कर बनाया है वह क्षण भर में मलबे में तब्दील हो जाएगा। पसीने से सींचकर रहने लायक घर बनाया, लेकिन जब 14 जून को सुबह उठे तो उस आशियाने को ढहाने बुलडोजर उनके सामने खड़ी थी।
क्षण भर में आंसुओं के सैलाब पर प्रशासनिक आतंक का बुलडोजर चल गया। विरोध करने की कोशिश की गई तो पुलिस ने पंछी की भांति दबोच लिया। कुछ लोगों ने ज्यादा विरोध किया तो उनको थाने में ले जाकर बैठा दिया। फिर शुरू हुआ तबाही का मंजर और देखते ही देखते दर्जनों घर धराशाई हो गए। जिस घरौंदे को मां की लाड़ की तरह संजोए थे वह सपने की तरह टूट चुका था। वहां रह गया था बस उनकी यादें और टूटे हुए सपने।

दरअसल रायगढ़ में यह मंजर 14 जून की सुबह देखने को मिला जब न्यू मरीन ड्राइव के लिए वार्ड नंबर 29 प्रगति नगर के रहवासियों की बिना सुने उनके घरौंदे को बेरहमी से तोड़ दिया गया। शुक्रवार की रात करीब साढ़े 8 बजे घर खाली करने की नोटिस दी गई थी और शनिवार सुबह 8 बजे बुलडोजर लेकर सैकड़ों की तादात में पुलिस बल और पुलिस के बड़े अधिकारियों के साथ निगम की टीम पहुंच गई थी। ऐसे में लोगों को घर से सामान निकालने का वक्त भी नहीं मिला। जब विरोध के बावजूद कहीं से कोई रहम के आसार नजर नहीं आए तो मोहल्लेवासी भी नतमस्तक हो गए और खड़े खड़े अपने टूटते घरौंदे को निहारते रहे।
अंततः पहले दिन दो दर्जन से अधिक घर ढहा दिया। खास बात यह है कि इस न्यू मरीन ड्राइव को बनाने की हड़बड़ी की राजनीति को कोई समझ नहीं पा रहा है। न तो यह किसी हाइवे से जुड़ेगी और न ही स्टेट रोड से। शनि मंदिर से कयाघाट पुलिया तक ही बनना है, फिर इसका फायदा शहरवासियों के अलावा किसी और को मिलने से रहा। फिर भी इतनी जल्दबाजी क्यों की जा रही है यह समझ से परे है।

मुआवजे का मरहम
जब बुलडोजर से लोगों का घरौंदा बड़ी बेरहमी से ढहाया जा रहा था उसी वक्त प्रदेश के वित्त मंत्री श्री चौधरी जी का एक मैसेज वायरल होता है। इसमें उन लोगों को सीएसआर मद से 75 लाख बतौर मुआवजा देने की घोषणा थी जो प्रभावित थे। याने मुआवजे का मरहम था। अब यह मरहम बेघर हुए लोगों के घाव को कितना भर पाएगा इसका आंकलन करना तो किसी भी हालात में मुनासिब नहीं है।
कलेक्टर बंगले के आगे प्रदर्शन
शुक्रवार की रात जब प्रगति नगर के घरों तक निगम की नोटिस पहुंची तो एक बारगी लोग सदमे में आ गए। किसी को कुछ सूझ नहीं रहा था। ऐसे में लोगों ने फैसला किया इसका समाधान कलेक्टर ही कर सकते हैं। अलबत्ता पूरा मोहल्ला पहुंच गया कलेक्टर बंगले के पास। कलेक्टर से चर्चा करने की मांग की गई। इस दौरान महिलाएं जमकर नारेबाजी भी कर रही थीं। उन्हें एसडीएम समझाने की कोशिश करते रहे लेकिन माने नहीं। आखिरकार कलेक्टर से लोग मिलने पहुंचे। वहां से उनको आश्वासन मिला सुबह ही कुछ कर पाएंगे, लेकिन सुबह होते ही सिर पर बुलडोजर आकर खड़ी हो गई। तब समझ आ गया कि उनका कोई सुनने वाला नहीं है। वे सब बेबस थे और उनकी इस बेबसी का लोग मजाक बना रहे थे। उनकी आंसुओं को पोछने की किसी ने जहमत नहीं उठाई। सब मूक दर्शक बन कर तमाशा देखते रहे। जिन लोगों का घरौंदा टूटा है उनको मां विहार कॉलोनी में शिफ्ट किया गया है।