वैदिक ज्योतिष में पंचक काल को विशेष रूप से संवेदनशील और कई मामलों में अशुभ माना जाता है। कार्तिक मास में आने वाला यह पंचक—जिसे भीष्म पंचक भी कहा जाता है—चंद्रमा के धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपदा, उत्तरा-भाद्रपदा और रेवती नक्षत्रों से गुजरने पर बनता है और सामान्यतः लगभग पाँच दिन तक रहता है। परंपरा के अनुसार इस काल में शुभ-आरंभ टालने चाहिए, जबकि पूजा, व्रत व दान को अत्यधिक फलदायी माना जाता है।
शुरू: 1 नवंबर 2025
समाप्ति: 5 नवंबर 2025
(इन दिनों को भीष्म पंचक कहा जा रहा है — कार्तिक मास के कारण इसे वैकुण्ठ/हरि पंचक के रूप में भी देखा जाता है।)
❌ पंचक में वर्जित काम (Don’ts)
पंचक के दौरान निम्नलिखित कार्य बाहर रहें / टालें:
किसी भी नए शुभ कार्य (गृह प्रवेश, शादी आदि) की शुरुआत।
नए व्यवसाय, बड़े निवेश या व्यापारिक शुरुआत।
मकान की छत डालना, पेंटिंग या निर्माण संबंधी कार्य।
चारपाई, फर्नीचर या पलंग बनवाना या उसकी मरम्मत।
महँगे या शुभ सामान, नए कपड़े या कीमती वस्तुओं की खरीदारी (यदि टाला जा सके)।
अनावश्यक दक्षिण दिशा की यात्रा (पंचक में दक्षिण दिशा यात्रा को अशुभ माना जाता है)।
✅ पंचक में किए जाने योग्य काम (Dos)
पंचक को पूरी तरह नकारात्मक नहीं माना गया — इस काल में निम्न कार्य फलदायी होते हैं:
विष्णु और हनुमान की आराधना, हनुमान चालीसा का पाठ।
विष्णु सहस्रनाम, भगवद् गीता या अन्य शास्त्रों का पाठ।
दान और परोपकार — दान का फल हजार गुना बढ़कर मिलता है।
रेवती नक्षत्र के समय अत्यावश्यक कार्य हों तो हवन या दान करके शांति प्राप्त की जा सकती है।
यदि दक्षिण दिशा जाना आवश्यक हो तो दक्षिण दिशा में सरसों के तेल का दीपक जलाना भी शास्त्रों में उल्लेखित उपाय है।
📌 विशेष ध्यान — यदि पंचक के दौरान किसी की मृत्यु हो जाए
यदि पंचक के दौरान मृत्यु हो जाए तो क्या करें:
दाह संस्कार के बारे में परंपरागत सलाह:
परंपरा के अनुसार, पंचक में हुई मृत्यु को लेकर आग्नि-पंचक दोष का विचार होता है। इसे निवारण के लिए एक प्रथा प्रचलित है — मृतक का दाह संस्कार करते समय एक पुतला (प्रतीकात्मक वस्तु) भी उसके साथ दाह किया जाए ताकि संभव दोष कम किया जा सके। यह संस्कार क्षेत्रीय रीति-रिवाज़ और पंडितों/पुरोहितों की सलाह के अनुसार किया जाता है।स्थानीय पुरोहित/पंडित से सलाह लें:
धार्मिक-शास्त्रीय मामलों में स्थानीय पंडित की सलाह अनिवार्य है — वे समय, करण और स्थानीय रीति के अनुसार उपयुक्त उपाय बतायेंगे (जैसे हवन, विशेष मंत्र उच्चारण, तीर्थ-दान)।शांति हेतु दान और श्राद्ध-कार्यों का संचालन:
दाह के बाद तथा पंचक समाप्ति के बाद मृतक के लिए विशेष श्राद्ध, दान, रुद्राभिषेक, विष्णु-पूजन या अन्य पुण्य कार्य कराये जाने से शांति मिलने का भरोसा दिया जाता है।सामाजिक और कानूनी पहलू:
यदि प्रशासनिक/कानूनी प्रक्रियाएँ (पोस्टमॉर्टेम, पुलिस रिपोर्ट, शव मुर्दा आदि) जुड़ी हों, तो चिकित्सकीय और कानूनी अनिवार्यताओं को तत्काल पूरा करें — धार्मिक अनुष्ठान प्रशासनिक बाधाओं के बाद करवाएं।
नोट: ये परंपरागत सुझाव हैं; क्षेत्रीय परम्पराओं में भिन्नता हो सकती है। धार्मिक/कानूनी मामलों में स्थानीय पंडित व अधिकारी की सलाह पर ही अंतिम निर्णय लें।
🌿 उपाय एवं मंत्र (संक्षेप में)
हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करें।
विष्णु सहस्रनाम या श्लोकों का पाठ लाभकारी होगा।
दान (खाद्य, वस्त्र, पूजा सामग्री) करें — विशेषकर रेवती नक्षत्र में।
ज़रूरी कामों के लिए हवन, यज्ञ या गुरु/पंडित के मार्गदर्शन से दान-पूजा कर लें।
🔚 समापन (Conclusion)
भीष्म पंचक का प्रभाव धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गहरा होता है — जहां नए शुभ कार्य टालने का निर्देश मिलता है, वहीं पूजा-दान और आत्म-शुद्धि के अवसर अधिक फलदायी माने जाते हैं। यदि इस काल में कोई अत्यावश्यक कार्य करना ही जरूरी हो तो स्थानीय पंडित से मार्गदर्शन अवश्य लें और उच्च-धार्मिक उपाय जैसे हवन, दान या पाठ करवा कर शुभ परिणाम सुनिश्चित करें।
















