Pitru Paksha 2025 का हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व है। इस वर्ष पितृ पक्ष 07 सितंबर 2025 (रविवार) से प्रारंभ होकर 21 सितंबर 2025 (अमावस्या) तक रहेगा। यह काल अपने पूर्वजों को याद करने, तर्पण, श्राद्ध और पितृ तृप्ति के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
कुंडली में पितृ दोष होने पर जीवन में कई तरह की बाधाएँ आती हैं – संतान सुख में समस्या, विवाह में रुकावट, आर्थिक कष्ट, पारिवारिक कलह और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ। लेकिन पितृपक्ष के दौरान कुछ खास उपाय करने से इन दोषों का निवारण हो सकता है और पितृदेव की कृपा प्राप्त होती है।
❓ पितृ दोष क्या होता है?
जिन लोगों की जन्मकुंडली में पितृ दोष होता है, उन्हें निम्न समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है:
संतान सुख की प्राप्ति में कठिनाई या संतान का बुरी संगत में पड़ना।
नौकरी व व्यापार में बार-बार रुकावट।
घर-परिवार में झगड़े और अशांति।
निरंतर आर्थिक संकट, गरीबी और कर्ज।
परिवार के किसी सदस्य की शादी में बाधा।
स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ और लगातार बीमार रहना।
🕉️ पितृ दोष निवारण के उपाय (Pitru Paksha 2025 Remedies)
पूर्वजों की तस्वीर की पूजा करें
घर की दक्षिण दिशा की दीवार पर पूर्वजों की तस्वीर लगाएँ।
उनकी तस्वीर के सामने रोजाना दीपक, धूप या अगरबत्ती जलाएँ।
दक्षिण दिशा में दीपदान
पितृ पक्ष के दौरान रोजाना शाम को दक्षिण दिशा में तेल का दीपक लगाएँ।
यह उपाय पितृ दोष को समाप्त करने में बेहद प्रभावी है।
पीपल के वृक्ष की पूजा
दोपहर के समय पीपल के पेड़ के नीचे पूजा करें।
गंगाजल में काले तिल, दूध, अक्षत और फूल मिलाकर पीपल को अर्पित करें।
भगवान शिव की उपासना
पितृ पक्ष के दौरान भगवान शिव की नियमित पूजा करने से पितृ दोष का प्रभाव कम होता है।
रुद्राक्ष धारण करें
पितृ दोष शांति के लिए पाँचमुखी, सातमुखी, आठमुखी और बारहमुखी रुद्राक्ष धारण करें।
यदि संभव न हो तो नवग्रह रुद्राक्ष माला भी धारण की जा सकती है।
श्राद्ध व पितृ स्तोत्र पाठ
पितृ पक्ष और अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त भोग लगाएँ।
साथ ही पितृ स्तोत्र का पाठ करें, जिससे पितृ देव प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
✨ निष्कर्ष
Pitru Paksha 2025 पितृ पक्ष केवल कर्मकांड का समय नहीं है, बल्कि यह हमारे पूर्वजों को स्मरण करने और उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर है। इस दौरान बताए गए पितृ दोष निवारण उपायों को अपनाने से जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।