पाकिस्तान में आतंकी ठिकाने ध्वस्त कर भारत ने एक साथ कई आतंकी हमलों का हिसाब चुकता किया है. 24 दिसंबर 1999 का कंधार हाइजैंकिंग (Kandahar Hijacking) कांड आपको याद होगा, जब काठमांडू से लखनऊ आ रही फ्लाइट को आतंकियों ने अगवा कर लिया और बंदूक की नोक पर कंधार ले गए. इस विमान में 176 यात्रियों के अलावा पायलट समेत क्रू के 15 लोग सवार थे.
आतंकी मौलाना मसूद अजहर को छुड़ाना चाहते थे, जो भारत की जेल में कैद था. यात्रियों को बचाने का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था. कहा जाता है, तब एनएसए अजीत डोभाल ने निगोशिएशंस किए. भारी मन से आतंकी मसूद अजहर जो छोड़ना पड़ा. तब उन्होंने इसके गुनगहारों को जहन्नुम पहुंचाने का संकल्प लिया था. आज 26 साल पुराना अजीत डोभाल का वो संकल्प पूरा हो गया. जब खबर आई कि ऑपरेशन सिंदूर में IC 814 कंधार हाइजैकिंग का मास्टरमाइंड रऊफ अजहर मार गिराया गया है.
आतंकी रऊफ अजहर जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर का छोटा भाई था. मुंबई से लेकर संसद भवन तक और पठानकोट से लेकर पुलवामा तक, कई आतंकी हमलों में वह शामिल रहा है. एजेंसियां वर्षों से उसे ठिकाने लगाने की कोशिश कर रही थीं. इस आतंकी को अमेरिका भी तलाश रहा था, क्योकि इसी आतंकी की मदद से अमेरिकी यात्री डेनियल पर्ल को मारा गया था. अमेरिका तो आतंकी को ढूंढ नहीं पाया, लेकिन अब भारत ने इसे मारकर बदला ले लिया है. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने इस ऑपरेशन को अंजाम देकर पुराना हिसाब-किताब बराबर कर लिया है.

कंधार हाइजैकिंग और अजीत डोभाल की भूमिका
कंधार हाइजैकिंग के वक्त अजीत डोभाल इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) के एडिशनल डायरेक्टर थे. उन्हें पाकिस्तान और अफगानिस्तान मामलों का एक्सपर्ट माना जाता था. इसलिए आतंकियों से निपटने की जिम्मेदारी उन्हें ही सौंपी गई. उन्होंने कंधार में तालिबान से सीधी बातचीत शुरू की. यह बेहद चुनौतीपूर्ण था क्योंकि तालिबान सरकार को भारत मान्यता नहीं देता था और बातचीत का हर शब्द रणनीतिक रूप से नपा-तुला होना था. तब डोभाल के सामने अपने यात्रियों को छुड़ाने की चुनौती थी. ये भी देखना था कि भारत की संप्रभुता से कोई समझौता न हो. आखिर में उन्होंने आतंकी मसूद अजहर को छोड़ने का विकल्प चुना. तब अजीत डोभाल ने इसे जहर के घूंट की तरह पी लिया था. आज उसका हिसाब बराबर हो गया.