सर्वपितृ अमावस्या और सूर्यग्रहण 2025: ज्योतिषियों का मानना है कि चाहे सूर्यग्रहण भारत में दिखाई दे या नहीं, इसके दौरान कुछ नियमों का पालन करना बेहद जरूरी है। खान-पान और दैनिक व्यवहार पर ध्यान देना इस दिन शुभ माना गया है। 21 सितंबर 2025 को सर्वपितृ अमावस्या के साथ साल का आंशिक सूर्य ग्रहण भी है, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है।
सूर्यग्रहण का सूतक काल भारत में दिखाई न देने के कारण मान्य नहीं होगा, लेकिन ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहण के दौरान कुछ विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक है। खासकर खान-पान में सावधानी बरतने से स्वास्थ्य और पितृशांति दोनों का लाभ मिलता है।
सर्वपितृ अमावस्या और सूर्य ग्रहण के नियम
आश्विन मास की अमावस्या शनिवार दोपहर 12:23 से रविवार दोपहर 12:53 तक रहेगी। इस दिन पितरों को विदा करने के बाद ग्रहण संबंधी कार्य किए जाते हैं। सूर्यग्रहण के दौरान किए गए दान-पुण्य और श्राद्ध सामान्य काल की तुलना में कई गुना फलदायी माने जाते हैं।
21 सितंबर को सूर्य ग्रहण: पितृपक्ष के समापन पर दूसरा ग्रहण, क्या है ज्योतिषीय संकेत?
सर्वपितृ अमावस्या पर पितरों की विदाई
इस दिन संपूर्ण पितरों का श्राद्ध और पिंडदान किया जा सकता है। यदि सूर्यग्रहण भी पड़ जाए, तो इसे पितृ मोक्ष हेतु अद्वितीय अवसर माना जाता है।
सूर्यग्रहण में भूलकर भी न खाएं ये 5 चीजें
मांसाहारी भोजन: ग्रहण के दिन शाकाहारी और सात्विक भोजन करें।
प्याज, लहसुन, सरसों: राजसिक और तामसिक खाद्य पदार्थों से बचें।
कड़वा पदार्थ: करेला, नीम और अन्य कड़वे पदार्थ ग्रहण के दिन न खाएं।
दूध और डेयरी उत्पाद: आश्विन माह में दूध का सेवन वर्जित है; ग्रहण के दौरान भी परहेज करें।
जला हुआ भोजन और नशीले पदार्थ: रोटी, भर्ता आदि जले हुए भोजन से बचें और किसी भी नशीले पदार्थ का सेवन न करें।
ग्रहण के दौरान इन नियमों का पालन करने से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता और साथ ही पितृ शांति का पुण्य भी प्राप्त होता है।
हमसे संपर्क करें
https://www.facebook.com/webmorcha
https://www.instagram.com/webmorcha/




















