Navratri Foods: धर्म और विज्ञान की दृष्टि से समझें व्रत का आहार: नवरात्र भारत के सबसे बड़े और लोकप्रिय त्योहारों में से एक है। यह नौ दिन तक चलने वाला पर्व माँ दुर्गा के राक्षस महिषासुर पर विजय और भक्ति के लिए मनाया जाता है। नवरात्र के दौरान कई लोग व्रत रखते हैं, जिसमें सात्विक भोजन का पालन करना अनिवार्य होता है।
सात्विक भोजन और व्रत का महत्व
व्रत के दौरान केवल सात्विक भोजन की अनुमति होती है। सात्विक भोजन शुद्ध, पौष्टिक और पचाने में आसान होता है। इसमें फल, मेवे, जड़ वाली सब्जियां, बीज, दूध और प्राकृतिक पदार्थ शामिल होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, सात्विक भोजन शरीर में ऊर्जा बनाए रखता है, पाचन प्रणाली को मजबूत बनाता है और मानसिक संतुलन बनाए रखता है।
नवरात्र के व्रत में प्याज और लहसुन पूरी तरह वर्जित हैं। आयुर्वेद में इन्हें तामसिक और राजसिक माना जाता है। तामसिक और राजसिक भोजन शरीर में अशांति, गर्मी और इच्छाओं को बढ़ाता है। लहसुन को ‘रजोगिनी’ माना जाता है, जो व्यक्ति की प्रवृत्तियों पर नियंत्रण खोने में योगदान करता है। वहीं, प्याज शरीर में अत्यधिक गर्मी उत्पन्न करता है और मानसिक एकाग्रता भंग करता है। नवरात्र के दौरान भक्तों को सांसारिक सुखों का त्याग करना होता है और ध्यान केन्द्रित रखना होता है, इसलिए इनका सेवन वर्जित है।
व्रत में कौन-कौन सी सब्जियां नहीं खाई जातीं और क्यों
व्रत के दौरान कुछ सब्जियों का सेवन धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों दृष्टि से मना किया गया है:
मटर और फलियां: इन्हें अनाज और सब्जी दोनों श्रेणी में रखा जाता है। उपवास में पचाना मुश्किल होने के कारण वर्जित हैं।
फूलगोभी, पत्तागोभी, ब्रोकली: ये क्रूसिफेरस सब्जियां FODMAPs तत्वों से भरपूर होती हैं, जिससे गैस और एसिडिटी बढ़ सकती है।
बैंगन: आयुर्वेद और शास्त्र के अनुसार अशुद्ध माना जाता है। इसमें ऑक्सेलेट्स होते हैं जो हड्डियों के लिए हानिकारक हो सकते हैं।
मशरूम: पवित्रता बनाए रखने के लिए वर्जित है। इसके सेवन से पाचन समस्याएँ हो सकती हैं।
भिंडी, तोरई, बींस और कुछ पत्तेदार साग: व्रत में ये भी खाने योग्य नहीं मानी जातीं।
विज्ञान और स्वास्थ्य की दृष्टि
व्रत में सात्विक और हल्का भोजन शरीर और मन दोनों को लाभ पहुंचाता है। जड़ वाली सब्जियां, साबूदाना, कुट्टू का आटा, समा के चावल और फल आसानी से पचते हैं और ऊर्जा प्रदान करते हैं। व्रत में भारी, तामसिक या गैसीय सब्जियों के सेवन से पेट में समस्याएं, भारीपन और ध्यान भटकना जैसी स्थितियाँ पैदा हो सकती हैं।
निष्कर्ष
नवरात्र का व्रत केवल धार्मिक नियम नहीं बल्कि स्वास्थ्य और मानसिक संतुलन का मार्ग भी है। इस दौरान सात्विक भोजन को अपनाना न केवल पूजा में मन लगाने में मदद करता है, बल्कि शरीर और मन को स्वस्थ, हल्का और ऊर्जावान बनाए रखता है।
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