तुमगांव: भरे तालाब में कराया जा रहा गहरीकरण, अध्यक्ष व ठेकेदार की मनमानी पर उठे सवाल

तुमगांव (महासमुंद): नगर पंचायत तुमगांव

तुमगांव (महासमुंद): नगर पंचायत तुमगांव में प्रशासनिक अनदेखी और ठेकेदार-अध्यक्ष की मनमानी का बड़ा मामला सामने आया है। वार्ड क्रमांक 11 व 12 से सटे रामसागर तालाब में वर्तमान बरसात के मौसम में जब तालाब जल से लबालब भरा हुआ है, तब उसमें अवैज्ञानिक ढंग से गहरीकरण कार्य कराया जा रहा है। यह कार्य नगर पंचायत अध्यक्ष और ठेकेदार द्वारा बिना पियासी परिषद को सूचित किए शुरू कर दिया गया है।

बताया गया है कि इस तालाब के सौंदर्यीकरण और गहरीकरण के लिए शासन द्वारा 1 वर्ष पूर्व 76 लाख रुपये की राशि स्वीकृत की गई थी, परंतु तय समय में कार्य पूरा नहीं हुआ। ठेकेदार की मनमानी और अध्यक्ष की अनदेखी के चलते कार्य बीच में ही रोक दिया गया था।

अब जब बरसात का मौसम चल रहा है और तालाब भरा हुआ है, तब पुनः यह कार्य चालू कर दिया गया है। गहरीकरण कार्य में अध्यक्ष द्वारा अपनी निजी 2 जेसीबी, 2 चैन माउंटेन मशीनें और 5 हाईवा वाहन लगाए गए हैं, जिससे हितों का टकराव और सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग का संदेह और भी गहरा गया है।

CMO और इंजीनियर ने दी अनुमति, पार्षदों ने जताया विरोध

नगर पंचायत के कई पार्षदों ने इस कार्य के विरोध में CMO और इंजीनियर को आवेदन देकर कार्य बंद कराने की मांग की थी। अधिकारियों ने आवेदन स्वीकार भी किया, लेकिन उसके बावजूद गहरीकरण कार्य को अनुमति दे दी गई और कार्य जारी रखा गया।

पार्षदों का कहना है कि भरे हुए तालाब में गहरीकरण न केवल अवैज्ञानिक है, बल्कि इससे तालाब की संरचना और पर्यावरणीय संतुलन को भी नुकसान पहुँच सकता है। इसके अलावा इससे भविष्य में जलभराव और मिट्टी कटाव जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

बोल्डर चोरी और पार्षदों से दुर्व्यवहार के भी आरोप

रामसागर तालाब क्षेत्र से बोल्डर चोरी की भी शिकायतें सामने आई हैं, जिसकी जानकारी नगर पंचायत को दी गई थी। परंतु जब इस पर सवाल उठाए गए तो CMO और अन्य अधिकारियों ने पार्षदों के साथ दुर्व्यवहारपूर्ण रवैया अपनाया।

एक पार्षद ने बताया कि जब उन्होंने संबंधित जानकारी माँगी तो जवाब मिला, “ज्यादा जानना है तो कलेक्टर के पास जाकर पूछो।” इससे साफ है कि स्थानीय प्रशासन पारदर्शिता और जनप्रतिनिधियों के सम्मान को गंभीरता से नहीं ले रहा।

क्या कहते हैं जानकार?

स्थानीय तकनीकी विशेषज्ञों का कहना है कि भरे हुए तालाब में गहरीकरण करना व्यर्थ ही नहीं, बल्कि खतरनाक भी हो सकता है। इससे मशीनें दलदल में फंस सकती हैं और मिट्टी का संतुलन बिगड़ सकता है। इसके अलावा लाखों रुपये की स्वीकृत राशि का इस तरह इस्तेमाल करना सरकारी धन का दुरुपयोग माना जाएगा।

पार्षदों की मांगें:

बरसात में जारी गहरीकरण कार्य को तुरंत रोका जाए।

अध्यक्ष और ठेकेदार की भूमिका की निष्पक्ष जांच हो।

निजी मशीनरी के प्रयोग और संभावित हितों के टकराव की समीक्षा की जाए।

CMO और इंजीनियर पर जवाबदेही तय की जाए।

निष्कर्ष:

तुमगांव का यह मामला एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर करता है कि जब जनप्रतिनिधियों की आवाज को नजरअंदाज किया जाता है, तब आम जनता की शिकायतों की क्या बिसात? शासन-प्रशासन की यह लापरवाही यदि समय रहते नहीं रोकी गई, तो इसका खामियाजा पूरे नगरवासियों को भुगतना पड़ सकता है।

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