बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में DMF घोटाला मामले में हाईकोर्ट ने आज पूर्व IAS रानू साहू, पूर्व CM के उप सचिव सौम्या चौरसिया, NGO संचालक मनोज कुमार और बिचौलिया सूर्यकांत तिवारी की स्थाई जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया है.
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि मामले में FIR और केस डायरी में उपलब्ध सामग्री का अवलोकन करने बाद आवेदक की धारा 7 और 12 के तहत अपराध करना प्रतीत होता है. प्रथम दृष्टया PC एक्ट के तहत आर्थिक अपराध परिलक्षित होता है. FIR और रिकॉर्ड में रखी गई अन्य सामग्री को देखते हुए, प्रथम दृष्टया यह प्रतीत होता है कि आवेदक का संबंधित अपराध में संलिप्तता है. कोर्ट ने कहा कि इस विचार से कि आवेदक को नियमित जमानत देना सही नहीं है. यह कहते हुए कोर्ट ने सभी आवेदनों को खारिज किया है.
जानें क्या है DMF घोटाला:
छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से जारी की गई जानकारी के मुताबिक, ED की रिपोर्ट के आधार पर EOW ने धारा 120 B 420 के तहत केस दर्ज किया है. केस में यह तथ्य सामने आया है कि डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड कोरबा के फंड से अलग-अलग टेंडर आवंटन में बड़े पैमाने पर घोटाला किया गया है. टेंडर भरने वालों को अवैध लाभ पहुंचाया गया. जांच रिपोर्ट में यह पाया गया है कि टेंडर की राशि का 40% सरकारी अफसर को कमीशन के रूप में दिया गया है. प्राइवेट कंपनियों के टेंडर पर 15 से 20% अलग-अलग कमीशन सरकारी अधिकारियों ने ली है. ED ने अपनी जांच रिपोर्ट में पाया था कि IAS अफसर रानू साहू और कुछ अन्य अधिकारियों ने अपने-अपने पद का गलत इस्तेमाल किया.