भारत देश में अब मोदी सरकार जातिगत जनगणना कराने जा रही है। लगातार जाति गणना को लेकर कांग्रेस, जदयू, राजद, एनसीपी, द्रमुक और आम आदमी पार्टी समेत कई विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार से जाति आधारित जनगणना कराने की मांग की थी। अब इस पर मोदी सरकार ने मूहर लगा दी है। दिल्ली: केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, “राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति ने आज फैसला किया है कि जाति गणना को आगामी जनगणना में शामिल किया जाना चाहिए।”
जानिए जातिगत जनगणना क्या है? (What is caste census?)
जातिगत जनगणना का अर्थ है जनगणना की कवायद में भारत की जनसंख्या का जातिवार सारणीकरण शामिल करना। भारत ने केवल अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के – 1951 से 2011 तक – जातिगत आंकड़ों को गिना और प्रकाशित किया है। यह धर्मों, भाषाओं और सामाजिक-आर्थिक स्थिति से संबंधित डेटा भी प्रकाशित करता है।
क्या जातिगत जनगणना पहले किया गया था? (Was caste census done earlier?)
आखिरी बार जातिगत जनगणना 1931 में की गई थी। सभी जातिगत आंकड़ों को इसके आधार पर पेश किया जाता है। यह मंडल फार्मूले के तहत कोटा कैप का आधार बन गया। 2011 की जनगणना के लिए जाति के आंकड़े एकत्र किए गए थे, लेकिन डेटा को कभी सार्वजनिक नहीं किया गया।
अब क्यों हो रही जातिगत जनगणना?
यह वास्तव में एक पुरानी मांग है, जो इस तथ्य से उत्पन्न होती है कि उपलब्ध डेटा-सेट 90 वर्ष पुराना है, जबकि जातियों को अक्सर कई कल्याणकारी कार्यक्रमों के आधार के रूप में लिया जाता है। राजनीतिक रूप से, भाजपा कथित तौर पर 2024 के चुनाव से पहले अपने हिंदुत्व अभियान के लिए एक संभावित चुनौती के डर से जातिगत जनगणना का विरोध करती रही है। जाति आधारित पार्टियां जाति आधारित जनगणना की प्रबल हिमायती रही हैं।