मोर छइंहा भुइयां 3 को निर्देशक सतीश जैन ने फिल्म नहीं समाज का आइना बनाया

मोर छइंहा भुइयां 3

थिएटर की बत्ती बुझती है, पर्दे पर पहला फ्रेम उभरता है एक शांत, सजीव छत्तीसगढ़ी गांव का दृश्य। खेतों के बीच झूमती छत्तीसगढ़िया हवा, कहीं गुठली फोड़ते बच्चे, तो कहीं चूल्हे पर रोटी सेंकती दादी। लेकिन इस बार यह दृश्य सिर्फ सुंदरता नहीं, एक तूफान के पहले की खामोशी है। सतीश जैन की मोर छइंहा भुइयां 3 में यह सन्नाटा बहुत जल्दी टूटता है, और फिर शुरू होता है एक भावनात्मक, राजनीतिक और पारिवारिक उथल-पुथल का सिलसिला, जिसे दर्शक सांस रोके देखते हैं। यह कोई सामान्य फिल्म नहीं, बल्कि अनुभव है, जो गंध महसूस कराता है मिट्टी की, धड़कन सुनाता है गांव की, और चोट देता है व्यवस्था की।

कहानी कार्तिक के परिवार से शुरू होती है—मध्यमवर्गीय, मूल्यनिष्ठ और आत्मगौरव से भरा। लेकिन इस सादा जीवन में उस दिन भूचाल आ जाता है, जब गांव की सरपंची चुनाव में एक पुराना दुश्मन (धर्मेंद्र चौबे) विजयी होकर लौटता है। सत्ता का अहंकार और पुरानी दुश्मनी का ज़हर एक भरे पूरे घर को चीरने लगता है। फिल्म का टर्निंग पॉइंट है एक सार्वजनिक तमाचा, धीमा नहीं बल्कि वैसा जो सिर्फ गाल पर नहीं, आत्मा पर पड़ता है। सतीश जैन उस तमाचे को सिर्फ दृश्य नहीं, घटना बना देते हैं, और सिनेमाघर में एक अजीब-सी खामोशी पसर जाती है।

इसके बाद की यात्रा है दादी और पोतों की, जिसमें कभी साइकिल है, कभी आंसू और कभी बगावत। एक तरफ गांव छोड़ने की मजबूरी, दूसरी तरफ लौट आने का जूनून। यह भागना नहीं, आत्म-खोज है। राम-लखन जैसे किरदार अपनी मासूमियत में इतने गहरे उतरते हैं कि कभी आंखें नम होती हैं, तो कभी हंसी छूट जाती है।

अंजली चौहान इस फिल्म की धड़कन हैं। हर दृश्य में वे आंखों से संवाद करती हैं। उनके चेहरे पर चिंता, स्नेह और विद्रोह एक साथ पलते हैं। लक्षित झांजी में नायकत्व है-संयमित, भरोसेमंद और संवादों में आत्मविश्वास से भरा। खासकर वह दृश्य जब वह कहता है—हमर जमीन नई ये… हमर जिद हे। सिनेमाघर में ताली और सिसकियां साथ उठती हैं।

क्रांति दीक्षित बतौर खलनायक ऐसा क्रूर चेहरा लेकर आते हैं, जो बर्बरता को अभिनय में ढाल देता है। और फिर प्रकाश अवस्थी एक ऐसा किरदार जो सीमित है, लेकिन परदे पर आते ही दर्शक अपनी यादों में लौट जाते हैं। फिल्म के संवाद इसकी एक बड़ी ताकत हैं। जब राम कहता है—हर लड़की एक दिन मां बनथे। अउ मां ले खूबसूरत कोनो नई होए। तो यह केवल शब्द नहीं, एक दर्शन है।

सिनेमैटोग्राफी (सिद्धार्थ सिंह) हर फ्रेम को चिट्ठी की तरह सजाती है—हर रंग, हर लाइट, हर एंगल में सौंदर्य है। गीत-संगीत पर बात करें तो सूरज महानंद ने “लाली लुगरा” और “सोना जइसे दिल” जैसे गीतों में लोक और आधुनिकता का ऐसा मेल किया है कि वो सिनेमाघर से निकलकर लोगों की जुबान पर चढ़ चुके हैं। एडिटिंग (तुलेंद्र) चुस्त है, खासकर ट्रांजिशन में भावनाएं इस तरह बहती हैं जैसे नदी मोड़ बदल रही हो।

बेशक, फिल्म में कुछ खामियां हैं—कुछ किरदार जैसे दुरूहा चाचा का अचानक ग़ायब हो जाना खटकता है, या मंत्री की बेटी का लुक और प्रस्तुति उतनी प्रभावशाली नहीं। क्लाइमैक्स में मंत्री का बच्चों को पहले ही पहचान लेना, लेकिन शक बाद में करना, तारतम्यता पर सवाल खड़ा करता है। और हां, “मां का दूध नहीं पीया…” जैसे संवाद भले ताली बटोरते हों, पर असलियत की दुनिया से थोड़ा फिसलते हैं। लेकिन इन खामियों के बावजूद, मोर छइंहा भुइयां 3 एक सांस्कृतिक उत्सव है। यह फिल्म सिर्फ देखी नहीं जाती, जी जाती है।

यह एक जड़ों से जुड़ी आधुनिकता है जहां गांव है, राजनीति है, अन्याय है, लेकिन साथ ही उम्मीद भी है। सतीश जैन ने इस फिल्म से यह साबित किया है कि छत्तीसगढ़ी सिनेमा अब सिर्फ क्षेत्रीय मनोरंजन नहीं, बल्कि भावनाओं की भाषा बन चुका है। अगर आपने यह फिल्म नहीं देखी, तो आप सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि अपने समाज का एक आईना देखने से चूक रहे हैं।

समीक्षक : डॉ. नीरज गजेंद्र

पढि़ए डॉ नीरज गजेंद्र का जिंदगीनामा- बीज में वृक्ष और विचार में समाहित होता है भविष्य का आकार

 

ये भी पढ़ें...

webmorcha.com

महासमुंद दैनिक भास्कर के सांवददाता की पिटाई, धान खरीदी केंद्र प्रभारी ने साथियों के साथ मिलकर किया ये कारनामा, FIR दर्ज

एल्सा घोषछत्तीसगढ़ी फिल्मडॉ. नीरज गजेंद्रदीक्षा जायसवालदीपक साहूमन कुरैशीमोर छइंहा भुइंया 3रायपुरसतीश जैन
webmorcha.com

कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद बोलें, पीएम पर किसी दैवीय शक्ति का आशीर्वाद, देखें वीडियो

एल्सा घोषछत्तीसगढ़ी फिल्मडॉ. नीरज गजेंद्रदीक्षा जायसवालदीपक साहूमन कुरैशीमोर छइंहा भुइंया 3रायपुरसतीश जैन
webmorcha.com

जब प्रधानमंत्री से भेंट करने अचानक पहुंच गए कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद, जानें वजह

एल्सा घोषछत्तीसगढ़ी फिल्मडॉ. नीरज गजेंद्रदीक्षा जायसवालदीपक साहूमन कुरैशीमोर छइंहा भुइंया 3रायपुरसतीश जैन
Gyanvapi

Gyanvapi: आधी रात जब यहां गुंजा हर-हर महादेव, व्यास जी के तहखाने में पूजा-पाठ करने का अधिकार मिला

एल्सा घोषछत्तीसगढ़ी फिल्मडॉ. नीरज गजेंद्रदीक्षा जायसवालदीपक साहूमन कुरैशीमोर छइंहा भुइंया 3रायपुरसतीश जैन
Budget 2024

Budget 2024: यहां हुआ ऐलान तो मालामाल हो सकते हैं इन शेयरों के निवेशक, जानें क्या आपके पास हैं ये स्टॉक?

एल्सा घोषछत्तीसगढ़ी फिल्मडॉ. नीरज गजेंद्रदीक्षा जायसवालदीपक साहूमन कुरैशीमोर छइंहा भुइंया 3रायपुरसतीश जैन
webmorcha.com

महासमुंद दैनिक भास्कर के सांवददाता की पिटाई, धान खरीदी केंद्र प्रभारी ने साथियों के साथ मिलकर किया ये कारनामा, FIR दर्ज

एल्सा घोषछत्तीसगढ़ी फिल्मडॉ. नीरज गजेंद्रदीक्षा जायसवालदीपक साहूमन कुरैशीमोर छइंहा भुइंया 3रायपुरसतीश जैन
webmorcha.com

कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद बोलें, पीएम पर किसी दैवीय शक्ति का आशीर्वाद, देखें वीडियो

एल्सा घोषछत्तीसगढ़ी फिल्मडॉ. नीरज गजेंद्रदीक्षा जायसवालदीपक साहूमन कुरैशीमोर छइंहा भुइंया 3रायपुरसतीश जैन
webmorcha.com

जब प्रधानमंत्री से भेंट करने अचानक पहुंच गए कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद, जानें वजह

एल्सा घोषछत्तीसगढ़ी फिल्मडॉ. नीरज गजेंद्रदीक्षा जायसवालदीपक साहूमन कुरैशीमोर छइंहा भुइंया 3रायपुरसतीश जैन
Gyanvapi

Gyanvapi: आधी रात जब यहां गुंजा हर-हर महादेव, व्यास जी के तहखाने में पूजा-पाठ करने का अधिकार मिला

एल्सा घोषछत्तीसगढ़ी फिल्मडॉ. नीरज गजेंद्रदीक्षा जायसवालदीपक साहूमन कुरैशीमोर छइंहा भुइंया 3रायपुरसतीश जैन
Budget 2024

Budget 2024: यहां हुआ ऐलान तो मालामाल हो सकते हैं इन शेयरों के निवेशक, जानें क्या आपके पास हैं ये स्टॉक?

एल्सा घोषछत्तीसगढ़ी फिल्मडॉ. नीरज गजेंद्रदीक्षा जायसवालदीपक साहूमन कुरैशीमोर छइंहा भुइंया 3रायपुरसतीश जैन
Edit Template