first time in history: क्या वाकई में उपराष्ट्रपति जगदीप को हटा सकते हैं विपक्षी दल?

जगदीप धनखड़

first time in history: इंडिया ब्लॉक (I.N.D.I.A) आज राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकती है. इंडिया ब्लॉक ने जगदीप धनकड़ पर कार्यवाही के दौरान पक्षपात करने का आरोप लगाया है. राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ घटक दलों के बीच तल्ख रिश्तों के बीच कई विपक्षी दल उन्हें उपराष्ट्रपति के पद से हटाने के लिए प्रस्ताव लाने संबंधी नोटिस देने के बारे में विचार कर रहे हैं. बता दें कि पार्टियां संविधान के अनुच्छेद 67B के तहत प्रस्ताव पेश कर सकती है.

वाकई क्या सच में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को हटा सकते हैं विपक्षी दल?

first time in history सूत्रों के मुताबिक, विपक्षी दल राज्यसभा में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकते हैं. इंडिया ब्लॉक सदन में पक्षपातपूर्ण कार्यप्रणाली का आरोप लगाते हुए राज्यसभा सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकता है. पार्टियां संविधान के अनुच्छेद 67(बी) के तहत प्रस्ताव पेश करेंगी. सूत्रों के अनुसार, TMC, आप, SP सहित इंडिया ब्लॉक की सभी पार्टियों ने प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं.

क्या है उपराष्ट्रपति को हटाने की प्रक्रिया?

हालांकि, विपक्षी दलों का यह कदम विफल हो सकता है, क्योंकि संख्या विपक्ष के पक्ष में नहीं है. अध्यक्ष को हटाने की प्रक्रिया राज्यसभा में प्रस्ताव पेश करके शुरू की जानी चाहिए. प्रस्ताव को सदन में एक सदस्य द्वारा पेश किया जाना चाहिए और उस दिन सदन में उपस्थित 50 प्रतिशत सदस्यों द्वारा पारित किया जाना चाहिए. यदि प्रस्ताव राज्यसभा से पारित हो जाता है तो इसे स्वीकार किए जाने के लिए लोकसभा द्वारा बहुमत से पारित किया जाना चाहिए. यह प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 67(बी), 92 और 100 का पालन करती है.

क्या है अनुच्छेद 67(बी)?

first time in history भारतीय संविधान का अनुच्छेद 67(बी) के अनुसार, उपराष्ट्रपति को तभी हटाया जा सकता है, जब राज्यसभा में प्रस्ताव पेश किए जाने के बाद उसे 50 प्रतिशत सदस्यों द्वारा पारित किया गया है. इसके बाद लोकसभा भी उस प्रस्ताव पर सहमत हो. हालांकि, इसके बाद भी इसके लिए 14 दिन का नोटिस देना होता है. अनुच्छेद 67 में लिखा है कि उपराष्ट्रपति का कार्यकाल पांच साल का होता है. उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति को एक लेटर लिख उस पर दस्तखत कर अपना पद त्याग सकता है. अगर उसके पद की अवधि खत्म भी हो गई है, तो उसके उत्ताधिकारी के पद ग्रहण करने तक वह उस पद पर बना रहेगा.

ऐसा हुआ तो भारत के संसदीय इतिहास में पहला मौका

यदि ऐसा होता है तो यह भारत के संसदीय इतिहास में सभापति को हटाने का पहला प्रयास होगा और इसे अध्यक्ष के लिए शर्मिंदगी के रूप में देखा जाएगा. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, विपक्षी सूत्रों ने कहा कि अगस्त में मॉनसून सत्र के दौरान जब इस कदम की योजना बनाई गई थी, तब उनके पास सभी इडिया ब्लॉक दलों के ‘आवश्यक संख्या में हस्ताक्षर’ थे, लेकिन उन्होंने आगे नहीं बढ़ने दिया क्योंकि उन्होंने जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) को ‘एक और मौका’ देने का फैसला किया था. हालांकि, अब विपक्ष ने आगे बढ़ने के लिए राजी कर लिया है.

उपराष्ट्रपति को हटाने की प्रक्रिया या सिर्फ मैसेज देने की कवायद

first time in history संख्या जुटाने के अलावा, विपक्ष को अध्यक्ष को हटाने के लिए 14 दिन के नोटिस से भी गुजरना होगा. सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस ने इस मुद्दे पर अगुवाई की थी और टीएमसी-एसपी के अलावा अन्य भारतीय ब्लॉक दलों ने इसका समर्थन किया था. टीएमसी के एक सूत्र ने कहा, ‘यह कुर्सी के बारे में नहीं है, यह भाजपा के बारे में है.’

सूत्रों ने कहा कि अगस्त में विपक्षी दल इस बात से चिंतित थे कि विपक्ष के नेता का माइक्रोफोन कथित तौर पर बार-बार बंद किया जा रहा था. एक अन्य सूत्र ने कहा, ‘विपक्ष चाहता है कि सदन नियमों और परंपराओं के अनुसार चले और सदस्यों के खिलाफ व्यक्तिगत टिप्पणी अस्वीकार्य है.’ कांग्रेस के जयराम रमेश ने कहा, ‘विपक्ष चाहता है कि संसद चले. पिछले दो-तीन दिनों में यह स्पष्ट हो गया है कि सरकार नहीं चाहती कि सदन चले. आज मैंने राज्यसभा में जो देखा वह अविश्वसनीय था. विपक्ष के नेता को बोलने की अनुमति नहीं दी गई और सदन के नेता को बोलने के कई मौके दिए गए.’

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