🪔 Kartik Month 2025: क्यों खास है कार्तिक माह? जानिए महत्व और इस महीने में क्या करें और क्या करने से बचें

Kartik Month 2025:

Kartik Month 2025 Date and Significance: हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास वर्ष का आठवां महीना होता है। इसे चातुर्मास का अंतिम और सबसे पुण्यकारी महीना कहा गया है। शास्त्रों में उल्लेख है —

“मासानां कार्तिकः श्रेष्ठः”
अर्थात सभी महीनों में कार्तिक मास श्रेष्ठ माना गया है।

यह महीना भगवान विष्णु की पूजा, दान-पुण्य और पवित्रता के पालन के लिए समर्पित होता है।
इसकी विशेषता यह है कि यह माह देवोत्थानी एकादशी के साथ समाप्त होता है — जब भगवान विष्णु चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं और सृष्टि के संचालन का कार्य पुनः प्रारंभ करते हैं।
इसलिए इस मास में किए गए हर धार्मिक कार्य को अक्षय पुण्य प्रदान करने वाला कहा गया है।


🌼 कार्तिक मास का महत्व

1. विष्णु और लक्ष्मी की कृपा

कार्तिक को दामोदर मास भी कहा जाता है, जो भगवान विष्णु का एक नाम है।
इस महीने में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आराधना करने से जीवन में सुख-समृद्धि, धन और सौभाग्य प्राप्त होता है।

2. तुलसी का विशेष महत्व

इस महीने में तुलसी पूजन और तुलसी विवाह (Tulsi Vivah) का विशेष महत्व है।
तुलसी को भगवान विष्णु की पत्नी माना गया है। तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाना और उसकी सेवा-परिक्रमा करना अत्यंत शुभ माना गया है।

3. पवित्रता और मोक्ष का माह

पद्म पुराण और स्कंद पुराण के अनुसार यह मास धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष देने वाला है।
पवित्र नदियों में स्नान करने से अनजाने पापों का नाश होता है और आत्मा शुद्ध होती है।

4. त्योहारों का संगम

कार्तिक मास में आने वाले प्रमुख पर्व —
करवा चौथ, दीपावली, गोवर्धन पूजा, भाई दूज और छठ पूजा,
इसे धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से सबसे खास महीना बना देते हैं।


🔆 कार्तिक मास में क्या करें

  1. कार्तिक स्नान:
    सूर्योदय से पहले गंगाजल मिले जल से स्नान करें। यह शरीर को ऋतु परिवर्तन के लिए तैयार करता है।

  2. दीपदान:
    तुलसी के पौधे, मंदिर या नदी तट पर घी के दीप जलाएं। इससे अंधकार दूर होकर मन में सकारात्मक ऊर्जा आती है।

  3. तुलसी सेवा:
    प्रतिदिन संध्या समय तुलसी के पास दीपक जलाएं और परिक्रमा करें।

  4. दान-पुण्य:
    इस महीने में अन्नदान, वस्त्रदान, गौदान और ब्राह्मण भोजन कराना अत्यंत शुभ माना गया है।

  5. संयम और ब्रह्मचर्य:
    सात्विक जीवन अपनाएं, मन-वचन-कर्म से संयम रखें और साधना-पूजा में मन लगाएं।


🚫 कार्तिक मास में क्या न करें

  1. दालों का सेवन न करें:
    उड़द, मूंग, मसूर, मटर जैसी दालें इस महीने वर्जित हैं। यह मौसम परिवर्तन के समय पाचन पर बोझ डालती हैं।

  2. तामसिक भोजन से बचें:
    मांस, मदिरा, प्याज, लहसुन का सेवन न करें। ये मन और शरीर दोनों को अशुद्ध करते हैं।

  3. तेल मलना (नरक चतुर्दशी को छोड़कर) न करें:
    इस महीने में शरीर पर तेल लगाने से बचें, केवल छोटी दिवाली के दिन ही इसका विधान है।

  4. दोपहर में न सोएं:
    कार्तिक में दोपहर की नींद वर्जित मानी गई है। सुबह जल्दी उठकर ध्यान-पूजा करना शुभ है।

  5. क्रोध और विवाद से दूर रहें:
    इस महीने मन को शांत रखें, ईर्ष्या-क्रोध से बचें और सत्संग-सदाचार का पालन करें।


निष्कर्ष

कार्तिक मास भक्ति, सेवा और आत्मशुद्धि का महीना है।
इस अवधि में किया गया हर छोटा पुण्यकर्म भी अक्षय फल देता है।
इसलिए इसे केवल त्योहारों का नहीं, बल्कि आध्यात्मिक साधना का स्वर्ण काल कहा गया है।

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