महासमुंद। छत्तीसगढ़ सरकार ने कुछ साल पहले तक प्राइवेट ठेका पद्धति के माध्यम से शराब बेचने की व्यवस्था की थी, लेकिन बाद में सरकार ने इसे समाप्त कर शराब दुकानों का संचालन स्वयं अपने हाथों में ले लिया।
इसी के उलट अब कई गांवों में ग्रामीणों ने खुद ही ठेका पद्धति से शराब बेचने की नई व्यवस्था शुरू कर दी है। बागबाहरा ब्लॉक के कोसमर्रा के बाद अब टोगोंपानी में भी ग्रामीणों ने गांव स्तर पर शराब का ठेका तय कर दिया है।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, आबकारी विभाग और पुलिस की मिलीभगत से इन गांवों में खुलेआम अवैध शराब दुकानें संचालित की जा रही हैं, जहां अंग्रेजी से लेकर देसी तक सभी ब्रांड आसानी से उपलब्ध हैं। कोचियों द्वारा बेची जा रही यह शराब न सिर्फ कानून व्यवस्था के लिए चुनौती है, बल्कि ग्रामीण वातावरण को भी बिगाड़ रही है।
गांव का माहौल बिगड़ रहा, युवाओं पर नकारात्मक असर
ठेका पद्धति को ग्रामीणों ने सामूहिक फ़ैसले के रूप में लागू तो कर दिया, लेकिन इसका दुष्प्रभाव सबसे ज्यादा युवा पीढ़ी पर पड़ रहा है।
कुछ ग्रामीण दबे स्वर में विरोध भी कर रहे हैं, लेकिन सामूहिक निर्णय के चलते उनकी आवाज़ दब जाती है।
गांव में बढ़ती शराब खपत से न सिर्फ घरेलू कलह बढ़ रही है, बल्कि नशे की लत का खतरा भी गहराता जा रहा है।
गांव की तिजोरी भर रही, लेकिन कानून व्यवस्था खाली!
कोसमर्रा और टोगोंपानी जैसे कई गांवों में अपनाई गई इस अनौपचारिक ठेका पद्धति से गांव की कोष में लाखों रुपये जमा हो रहे हैं।
ग्रामीणों का तर्क है कि जब सरकारी दुकानें गांव से दूर हैं और लोग वहां जाकर शराब खरीद ही रहे हैं, तो गांव में सुविधा उपलब्ध कराना गलत नहीं।
लेकिन यह तर्क कानून, सुरक्षा और सरकारी नीतियों के सामने बिल्कुल कमजोर पड़ता है।
शासन–प्रशासन की चुप्पी सवालों के घेरे में
अवैध शराब बिक्री पर कठोर कार्रवाई की बजाय प्रशासन की चुप्पी कई सवाल खड़े करती है।
स्थानीय लोग मांग कर रहे हैं कि
अवैध शराब बिक्री पर तत्काल रोक लगे
गांव-स्तर पर जारी ‘ठेका मॉडल’ की जांच हो
शामिल अधिकारियों और कोचियों पर कार्रवाई की जाए
वीडियो में देखिए: कैसे गांव में चल रहा अवैध शराब कारोबार!
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