🕉️ 3500 KM की इस अनोखी यात्रा में लगेंगे 4 साल-छत्तीसगढ़ की अद्भुत आस्था को जानकर रह जाएंगे हैरान

This unique journey of 3500 km will take 4 years.

📍 पेंड्रा (छत्तीसगढ़)।आस्था, तपस्या और अदम्य संकल्प की ऐसी मिसाल शायद ही कहीं देखने को मिले —
पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के धर्मराज पुरी महाराज इन दिनों नर्मदा परिक्रमा पर हैं, लेकिन यह कोई सामान्य यात्रा नहीं है।
वे उल्टे होकर हाथों के बल चलकर लगभग 3500 किलोमीटर लंबी यह कठिन साधना कर रहे हैं।


🌊 दशहरा के दिन अमरकंटक से हुई शुरुआत

धर्मराज पुरी महाराज की यह अनोखी यात्रा अमरकंटक से शुरू हुई — वहीं से जहां मां नर्मदा का पावन उद्गम स्थल है।
वे इस परिक्रमा को ‘अधोमुखी मुद्रा’ में यानी उल्टे होकर हाथों के बल चलकर पूरी करने का संकल्प लिए हुए हैं।
यह यात्रा लगभग चार वर्षों में पूरी होगी।

“यह केवल यात्रा नहीं, बल्कि साधना, तप और नर्मदा माता के प्रति समर्पण का प्रतीक है।”
धर्मराज पुरी महाराज

आस्था, तपस्या
छत्तीसगढ़ की धरती पर अद्भुत दृश्य

🚶‍♂️ हर दिन तय करते हैं 2 से 3 किलोमीटर का सफर

इन दिनों महाराज गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले के कबीर चबूतरा क्षेत्र से गुजर रहे हैं।
स्थानीय लोगों के अनुसार वे रोजाना 2 से 3 किलोमीटर की दूरी तय करते हैं और अब तक लगभग 25 किलोमीटर की परिक्रमा पूरी कर चुके हैं।

यह यात्रा आगे महाराष्ट्र और गुजरात से होते हुए नर्मदा के उत्तरी तट से होते हुए फिर अमरकंटक लौटेगी।

यहां देखें वीडियों


🙏 आस्था और अध्यात्म की चरम साधना

चार वर्षों तक चलने वाली यह तपस्या न केवल शारीरिक क्षमता की परीक्षा है, बल्कि यह अटूट विश्वास, समर्पण और आस्था का अद्भुत उदाहरण भी है।
धर्मराज पुरी महाराज की यह ‘अधोमुखी नर्मदा परिक्रमा’ आज पूरे देश में श्रद्धा और प्रेरणा का विषय बन गई है।

Dharmraj Puri Maharaj
Dharmraj Puri Maharaj

🌼 छत्तीसगढ़ की धरती पर अद्भुत दृश्य

बाबा के दर्शन के लिए हर दिन श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है
लोग उनके चरणों में माथा टेकते हैं और इस दिव्य यात्रा को देखने को सौभाग्य मानते हैं।
यह यात्रा न केवल अध्यात्म का प्रतीक है बल्कि मानव संकल्प और भक्ति की पराकाष्ठा का जीवंत उदाहरण भी है।

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