रायपुर। कभी गोवा में बारटेंडर की नौकरी करने वाला तरुण उर्फ बाबा कांति योगा अग्रवाल अब पूरे देशभर में चर्चा का केंद्र बना हुआ है। डोंगरगढ़ में बाबा के फार्महाउस पर पुलिस की छापेमारी के बाद जिस तरह से आपत्तिजनक सामग्री, गांजा और विदेशी कनेक्शन का खुलासा हुआ, उसने न सिर्फ प्रशासन को बल्कि आम लोगों को भी झकझोर दिया है।
लेकिन इस हाई-प्रोफाइल मामले में सबसे बड़ा सवाल अब पुलिस महकमे की कार्यप्रणाली पर उठ रहा है। बाबा के खिलाफ कार्रवाई करने वाले थाना प्रभारी जितेंद्र वर्मा का तबादला कर दिया गया है, जबकि उनकी जगह उसी अधिकारी को पदस्थ किया गया है, जिसे हटाने की अनुशंसा खुद विधानसभा अध्यक्ष ने की थी।
📍 छापेमारी में क्या मिला?
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24 जून को डोंगरगढ़ पुलिस ने बाबा के फार्महाउस पर छापा मारा
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करीब 2 किलो गांजा और यौन गतिविधियों में प्रयुक्त सामग्री बरामद की गई
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बाबा ने सारा दोष “अनुयायियों” पर मढ़ने की कोशिश की
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बाबा की वेबसाइट पर योग पैकेज की फीस यूरो में ली जा रही थी
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पूछताछ में बाबा ने खुद को 10 NGO का डायरेक्टर बताया और 100 देशों की यात्रा का दावा किया
🌍 विदेशी फंडिंग और NGO नेटवर्क पर शक
तरुण ने 2020-21 में डोंगरगढ़ में 6 करोड़ रुपये की 42 एकड़ जमीन खरीदी, जिसके बारे में उसने दावा किया कि यह पैसा NGO के माध्यम से आया है।
इस पैसे का स्रोत अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है और पुलिस को संदेह है कि यह मामला मनी लॉन्ड्रिंग और विदेशी नेटवर्क से जुड़ा हो सकता है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, बाबा का नेटवर्क यूरोप, रूस और थाईलैंड जैसे देशों तक फैला हुआ है, और वह योग ट्रेनिंग के नाम पर विदेशियों से लाखों की फीस वसूलता था।
🛑 TI जितेंद्र वर्मा का ट्रांसफर, सवालों के घेरे में सिस्टम
जिस समय पुलिस जांच अपने अहम पड़ाव पर थी, उसी समय डोंगरगढ़ थाना प्रभारी जितेंद्र वर्मा का अचानक ट्रांसफर कर दिया गया।
हैरानी की बात यह है कि विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने बोरतलाव TI उपेंद्र शाह को हटाने की अनुशंसा की थी, लेकिन उन्हें ही डोंगरगढ़ थाने का नया प्रभारी बना दिया गया।
इस फैसले से आम जनता और सोशल मीडिया पर लोगों ने यह सवाल उठाया है कि क्या बाबा तरुण का नेटवर्क इतना मजबूत है कि वह प्रशासन में हस्तक्षेप तक कर सकता है?
🤫 पुलिस की चुप्पी और जांच जारी
फिलहाल पुलिस इस मामले में मीडिया से सीधे बात करने से बच रही है। अधिकारियों का कहना है कि जांच चल रही है, और सबूतों के आधार पर ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।
हालांकि बाबा के पास से मिले दस्तावेज, NGO फंडिंग और विदेशी नागरिकों से संपर्क की जानकारी ने अब इस मामले को एक अंतरराष्ट्रीय साजिश का शक देने लगा है।
📌 आखिर क्या सवाल खड़े हो रहे हैं?
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क्या बाबा तरुण किसी अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का हिस्सा था?
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क्या उसके NGO के जरिए विदेशी फंडिंग भारत लाकर मनी लॉन्ड्रिंग की जा रही थी?
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क्या उसके खिलाफ कार्रवाई करने वाले पुलिस अधिकारी का ट्रांसफर एक राजनीतिक दबाव का नतीजा है?
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और सबसे अहम – क्या योग की आड़ में चल रहा यह रैकेट देशभर में फैला हुआ है?
📢 निष्कर्ष
यह मामला अब महज नशा या अनैतिक गतिविधियों का नहीं रह गया, बल्कि यह भारत में सिस्टम पर हो रहे प्रभाव और विदेशी नेटवर्क के हस्तक्षेप का गंभीर उदाहरण बन चुका है। अगर इस मामले की निष्पक्ष जांच नहीं हुई तो यह ना सिर्फ कानून व्यवस्था के लिए खतरा होगा, बल्कि आम जनता के विश्वास को भी गहरी चोट पहुंचेगी।