📍 रायपुर | 2 जुलाई 2025। छत्तीसगढ़ के चर्चित 2161 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा) की ओर से दाखिल दूसरे पूरक चालान में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। चालान के मुताबिक, पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा सहित एक अन्य बड़े कांग्रेस नेता को हर महीने दो बार 10-10 करोड़ रुपए मिलते थे।
🔍 1500 करोड़ “पार्टी फंड” के नाम पर!
ईओडब्ल्यू की रिपोर्ट के अनुसार, शराब घोटाले से निकली करीब 1500 करोड़ की राशि एक राजनीतिक पार्टी के फंड के नाम पर दी गई। हालांकि, डायरी में किस पार्टी को पैसा गया, इसका स्पष्ट उल्लेख नहीं है। जांच एजेंसी इसकी जांच में जुटी है।
📦 कैसे शुरू हुआ घोटाला?
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वर्ष 2019 से भ्रष्टाचार की शुरुआत, शुरू में 800 पेटी शराब हर महीने डिस्टलरी से निकाली जाती थी।
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बाद में 400 ट्रकों तक सप्लाई, प्रति पेटी 3880 रुपए में अवैध बिक्री।
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ईओडब्ल्यू के अनुसार, साल भर में 60 लाख से ज्यादा पेटियों की अवैध बिक्री की गई।
📍 15 जिलों में फैलाया नेटवर्क
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राज्य को 8 जोनों में बांटकर 15 जिलों में डुप्लीकेट होलोग्राम के जरिए शराब बेची गई।
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इस सिंडीकेट में शामिल थे:
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अमित सिंह (अरविंद सिंह का भतीजा)
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अनुराग द्विवेदी (अनुराग ट्रेडर्स)
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सत्येंद्र प्रकाश गर्ग
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नवनीत गुप्ता
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डुप्लीकेट होलोग्राम लगाने का काम सिद्धार्थ सिंघानिया की कंपनी सुमित फैसिलिटीज के कर्मचारियों ने किया। प्रति होलोग्राम 8 पैसे कमीशन दिया जाता था।
💼 वसूली और हवाला से पैसा ट्रांसफर
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सुब्बू (विकास अग्रवाल), सिद्धार्थ सिंघानिया, अमित सिंह की टीम वसूली का काम करती थी।
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एक साल बाद प्लेसमेंट कंपनी के माध्यम से कलेक्शन शुरू किया गया।
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पैसा बस, टैक्सी और मालवाहक के जरिए दिल्ली, मुंबई, कोलकाता तक हवाला के माध्यम से भेजा गया।
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कारोबारी सुमित मालू और रवि बजाज ने पूछताछ में घोटाले में शामिल होने की बात स्वीकार की है।
🧾 पत्नियों के नाम पर कंपनी और सॉफ्टवेयर डील
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आबकारी सचिव अरुणपति त्रिपाठी ने अपनी पत्नी मंजूलता त्रिपाठी के नाम पर रतनप्रिया मीडिया प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी बनाकर 50 लाख रुपए में सॉफ्टवेयर बेचा।
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वहीं अरविंद सिंह ने पत्नी पिंकी सिंह के नाम पर अदीप एम्पायर और माउंटेन व्यू इंटरप्राइजेज रजिस्टर करवाई और इसी से शराब कारोबार किया।
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टुटेजा और ढेबर परिवारों का नाम भी इस घोटाले से जुड़कर सामने आया है।
⚖️ अब क्या आगे?
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ईओडब्ल्यू की जांच अब राजनीतिक कनेक्शन, हवाला नेटवर्क, और निवेश चैनल्स पर केंद्रित है।
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पार्टी फंड के लेन-देन, अवैध कंपनियों की भूमिका और विदेश ट्रांजैक्शन की भी गहन जांच जारी है।
🧠 निष्कर्ष:
छत्तीसगढ़ में यह शराब घोटाला केवल आर्थिक अपराध नहीं, बल्कि प्रशासन, राजनीति और व्यापार का संगठित गठजोड़ दिखाता है।
अगले कुछ हफ्तों में और बड़े नाम सामने आ सकते हैं।