बागबाहरा में प्रशासनिक लापरवाही: यूरिया है पर ट्रक नहीं, किसान बेहाल

महासमुंद में खाद की भारी किल्लत

महासमुंद, बागबाहरा दिलीप शर्मा। सावन के पहले हफ्ते में जब खेतों में बियासी और रोपाई का काम तेज़ी पर है, ऐसे समय में महासमुंद जिले के किसान खाद के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं। जिले के बागबाहरा ब्लॉक में खाद गोदामों में यूरिया पर्याप्त मात्रा में डंप है, लेकिन वितरण व्यवस्था की लापरवाही के चलते यह खाद किसानों तक नहीं पहुंच रही।

🚜 58 केंद्र, एक ट्रक – कैसे पहुंचेगी खाद?

ब्लॉक अंतर्गत नर्रा, बकमा, पटपरपाली, सुअरमार, बसुलाडबरी जैसे लगभग 40 से अधिक सोसायटियों में यूरिया और डीएपी उपलब्ध नहीं है। किसानों को मजबूरी में खाद बाजार से ऊंचे दामों पर खरीदनी पड़ रही है।

बागबाहरा फेडरेशन के गोदाम में करीब 350 टन यूरिया स्टॉक में है, जबकि 3 हजार टन की डिमांड है। ट्रांसपोर्ट की हालत यह है कि 58 विक्रय केंद्रों के लिए केवल एक ट्रक उपलब्ध कराया गया है। इससे खाद भेजने में देरी और किसानों में नाराजगी बढ़ रही है।

💬 अधिकारियों की सफाई

बागबाहरा फेडरेशन गोदाम प्रभारी दीपेश पांडे का कहना है कि

“हम खाद केंद्रों तक भेजने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन ट्रकों की कमी से दिक्कत हो रही है।”

💸 किसानों की जेब पर मार

सरकारी केंद्रों पर

  • यूरिया: ₹270 प्रति बोरी

  • डीएपी: ₹1350 प्रति बोरी
    मिलती है, लेकिन बाजार में

  • यूरिया: ₹400-₹500

  • डीएपी: ₹1600-₹1700
    में मिल रही है।

📢 सवाल उठते हैं…

  • जब गोदाम में खाद डंप है, तो किसानों तक क्यों नहीं पहुंच रही?

  • एक ट्रक से 58 सोसायटियों में वितरण कितना व्यावहारिक है?

  • क्या प्रशासन की चुप्पी किसानों की परेशानी को नजरअंदाज कर रही है?

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