पति की दीर्घायु के लिए सुहागिन महिलाओं ने की पटपरपाली के ऐतिहासिक वट वृक्ष की पूजा, रखा वट सावित्री व्रत

पटपरपाली (कोमाखान)

पटपरपाली (कोमाखान) आज देशभर में महिलाएं वट सावित्री का व्रत रख रही हैं। हर साल ये व्रत ज्येष्ठ माह की अमावस्या को रखा जाता है। आज का दिन कई मायनों में खास है क्योंकि वट सावित्री व्रत के साथ सोमवती अमावस्या का शुभ संयोग बन रहा है। ऐसे में जो महिलाएं इस दिन व्रत रख रही हैं, उन्हें इस खास मौके पर विशेष लाभ की प्राप्ति होगी।

पटपरपाली (कोमाखान)
Patparpally (Komakhan)
पटपरपाली (कोमाखान)
पटपरपाली (कोमाखान)

वट सावित्री का व्रत सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं. इस दिन विवाहित महिलाएं पति दीर्घायु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए निर्जला उपवास रखती हैं और वट वृक्ष की पूजा करती हैं. मान्यतानुसार इस वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता।

पटपरपाली (कोमाखान)
पटपरपाली (कोमाखान)

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आज सोमवती अमावस्या वट सावित्री व्रत के दिन विगत कई वर्षो से अस्तव्यस्त बढ़ वृक्ष परिसर को महिला विशेष की मांग पर पटपरपाली ग्राम पंचायत की महिला सरपंच श्रीमती लता कमलेश टाण्डेय ने कांक्रीटीकरण पक्का निर्माण कर महिलाओं के साथ वट सावित्री का व्रत रख पूजा किया गया।  सरपंच श्रीमती लता कमलेश टाण्डेय ने कहा कि ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को वट सावित्री व्रत करने की परंपरा होती है. इस दिन विवाहित महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं और वट के पेड़ की पूजा भी करती हैं. इस व्रत का महत्व करवा चौथ जैसा ही है.

पटपरपाली (कोमाखान)
Patparpally (Komakhan)

वट वृक्ष (बरगद) एक देव वृक्ष माना जाता है. ब्रह्मा, विष्णु, महेश और ,सावित्री भी वट वृक्ष में रहते हैं. प्रलय के अंत में श्री कृष्ण भी इसी वृक्ष के पत्ते पर प्रकट हुए थे. तुलसीदास ने वट वृक्ष को तीर्थराज का छत्र कहा है. ये वृक्ष न केवल अत्यंत पवित्र है बल्कि काफी ज्यादा दीर्घायु वाला भी है. लंबी आयु, शक्ति, धार्मिक महत्व को ध्यान में रखकर इस वृक्ष की पूजा होती है. पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए इस वृक्ष को ज्यादा महत्व दिया गया है.

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